ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था
हमीं सो गए दास्तां कहते-कहते…
2020 का साल एक ऐसा साल रहा, जिसने हमसे हमारे अपनों को छीना। वो सितारे जो कभी बॉलीवुड की दुनिया के सरमाये थे वो आज आसमाँ के सितारे बन कर रोशन हैं दूसरे जहाँ में। हमारे चहेते सितारों ने दुनिया को अलविदा कहा दिया लेकिन अपने पीछे छोड़ गये अपने चाहने वालों के लिए कुछ यादें ,कुछ दर्द ,कुछ तन्हाईयाँ। हम उन्हीं सितारों को याद करेगें जो आज हमारे साथ नहीं हैं लेकिन उनसे जुड़े एहसासात आज भी हमारे साथ हैं।
1.इरफ़ान ख़ान
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ, मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको.
इरफ़ान ख़ान एक ऐसे सितारे थे जिन्होनें साल की शुरूआत में ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। दूरदर्शन से ऑस्कर तक का सफर तय करने वाले इस महान अभिनेता ने मुंबई में अपनी आखिरी सांसे ली। भरपूर ज़िंदगी जीने का वादा करने वाले अभिनेता इरफान खान ने 29 अप्रैल को इस दुनिया को अलविदा कह दिया । अपनी आंखों से अभिनय को जीवंत करने वाले इरफान खान कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। इस बीमारी से निजात पाने के बाद 2019 में बालीवुड में अंग्रेजी मीडियम’’ फिल्म से वापसी की तो फैंस को लगा कि वह ठीक हो गये हैं। लेकिन पेट के संक्रमण के बाद 29 अप्रैल को उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ कोरोना संक्रमण के बीच कैंसर जैसी बीमारी के कारण वह ज़िंदगी की जंग हार गये। उन्होनें अपना शुरूआती सफऱ दूरदर्शन के सीरीयल चंद्रकाता औऱ द वारियर्स के साथ किया। फिल्म सलाम बॉम्बे से डैब्यू करने के बाद उन्हें पहचान मिली फिल्म मकबूल से। इसके बाद तो उन्होनें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी बेहतरीन फिल्में पान सिंह तोमर, नेमसेक, हिन्दी मीडियम, द लंच बॉक्स, स्लमडॉग मिलेनियर, हासिल,मदारी ,पीकू साहब बीवी गैंगेस्टर, इन्फर्नो रहीं।
2011 में अपने बेहतरीन अभिनय और फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाज़ा गया। 53 साल के इस सफ़र में इरफ़ान ने बॉलीवुड समेत दुनियाभर के सिनेमा को कई बड़े तोहफे दिए।
2. ऋषि कपूर
इरफ़ान ख़ान के जाने के ग़म से अभी बॉलीवुड उबर भी नहीं पाया था कि दिग्गज कलाकार ऋषि कपूर ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। कैंसर से पीड़ित ऋषि कपूर ने ठीक एक दिन बाद 30 अप्रैल को अपनी अंतिम सांसे ली। ऋषि कपूर आखिरी समय तक बॉलीवुड में सक्रिय रहे। 70 से 90 के दशक में ऋषि ने सभी को अपना दीवाना बनाया। बॉबी से अपने फिल्मी सफर की शुरूआत करने वाले इस चॉकलेटी हीरो ने रऊफ लाला जैसे नेगेटिव किरदार से भी लोगों का दिल जीता। ऋषि के अभिनय में यंगस्टर वाली शरारत थी तो वहीं कई किरदारों में इनकी संजीदगी ने दर्शकों के दिलों पर राज किया। ऋषि कपूर कपूर लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। अमेरिका में कैंसर का इलाज कराने के बाद वह 2019 में सितंबर में भारत लौटे। फरवरी2020 में भी तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आखिरी बार अप्रैल में उन्हें तबीयत बिगड़ने के बाद एच. एन. रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ 30 अप्रैल को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। ऋषि कपूर ने अपने पिता राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ से बतौर बाल कलाकर बड़े पर्दे पर अपनी फिल्मी पारी का आगाज़ किया ।इसके बाद उन्होनें फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में बाल कलाकार के रूप में काम किया जिसके लिए 1970 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया।
बतौर मुख्य अभिनेता 1973 में आई ‘बॉबी’ उनकी पहली फिल्म थी, जो एक बड़ी हिट रही ।इसके बाद करीब तीन दशक तक उन्होंने कई रोमांटिक फिल्में की। लैला मजनू, रफू चक्कर, कर्ज, चांदनी, हिना, सागर जैसी कई फिल्मों में उनके अभिनय को सराहा गया।बाद में वो चरित्र अभिनेता के रूप में अग्निपथ ,दो दुनी चार ,कपूर एनड संस,मुल्क, डी डे जैसी कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय से दर्शकों के दिलों को जीता।
3. गीतकार योगेश
ज़िंदगी कैसी है पहेली कभी ये हँसाए कभी ये रूलाए ।.. जिदगी की इस पहेली को लिखने वाले लेखक औऱ गीतकार योगेश गौड़ नें 29 मई को इस दुनिया से अलविदा कह दिया ।योगोश जी ने एक से बढ़कर एक गीत बॉलीवुड को दिये।.जो हर एक की ज़िंदगी का नगमा बन गए। मशहूर लेखक और गीतकार योगेश जी की गिनती उन गीतकारों में होती है । जिन्होंने अपने समय में सबसे बेहतरीन फिल्मकार ऋषिकेशदा और बासु चटर्जी की फिल्मों के लिए गीत लिखे। 1962 में सखी रॉबिन फिल्म के गीत तुम जो आ गए से उन्होनें ब़ॉलिवुड में डेब्यू किया । लेकिन उन्हें पहचान फिल्म आनंद से मिली- “कहीं दूर जब दिन ढल जाए” गाने से।
उनके प्रसिद्ध हिंदी गीतों में ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए, जिंदगी कैसी है पहेली , रिमझिम गिरे सावन, कई बार यूँ भी देखा है। जैसे कई गीत रहे ।उन्हें दादासाहब फाल्के से नवाज़ा गया। उन्होंने कई फिल्मों के गीत लिखे । जिसमें मिली, छोटी सी बात,मंजिल,रजनीगंधा फिल्में खासतौर से रहीं जिनके गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं। 77 वर्ष की आयु में 29 मई को उन्होनें दुनिया को अलविदा कह दिया और छोड़ गये खूबसूरत और ज़िदगी को मायने देने वाले सुरीले नगमों की विरासत।
4.वाजिद खान
कहते हैं ज़िदगी बेवफा होती है कब आप का साथ छोड़ दे । कुछ ऐसी ही बेवफा हुई संगीतकार वाजिद ख़ान से। 1 जून को साजिद-वाजिद की फेमस म्यूज़िक जोड़ी टूट गई और वाजिद खान ने दुनिया से रूखसती कर ली। म्यूजिक इंडस्ट्री की फेमस जोड़ी साजिद-वाजिद ने 1998 में सलमान खान अभिनीत फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्या’ से अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इस जोड़ी ने एक के बाद एक हिट फिल्मों के लिए संगीत दिया। उनकी सफल फिल्मों में चोरी चोरी, हेलो ब्रदर, मुझसे शादी करोगी, पार्टनर, वांटेड, दबंग जैसी फिल्में शामिल हैं। वाजिद खान ने 2008 में फिल्म पार्टनर के लिए गाना भी गाया। वाजिद खान किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और हालत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के चेंबुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ महीने पहले ही उनकी किडनी ट्रांसप्लांट भी की गई थी। 42 साल के वाजिद खान कुछ दिन पहले ही जांच में कोरोना संक्रमित भी पाये गये थे। 31 मई को उनकी हालत अधिक बिगड़ गई और तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए औऱ इसी के साथ बॉलिवुड ने अपना चहेता संगीतकार खो दिया।
5. वासु चटर्जी
सिनेमा हाल के 70 एम एम के पर्दे पर आम आदमी की जिंदगी को जिस तरह से बासु दा ने दिखाया उसने मीडिल क्लास को आम से खास बना दिया और अपनी फिल्मों से उनके जीवन में नये रंग भरे । आम आदमी उनकी कहानियों से जुड़ता चला गया। लेकिन जीवन के आखिरी सच पर किसी का अख्तियार नहीं। 4 जून को लम्बी बीमारी के कारण उन्होनें दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया । वो आम लोगों की कहानी कहते थे. आम आदमी की जिंदगी को सिल्वर स्क्रीन पर दिखाते थे। उनकी फिल्मों में भी कुछ भी Larger than life नहीं था । उनकी फिल्मों के नायक नायिकाएं हमारी आपकी तरह ही आम होते थे। जिनके सपने छोटे लेकिन चमकीले थे। जिनकी छोटी छोटी खुशियों औऱ गमों में हर कोई खुद का अक्स देखता था।
बासु दा ने देव आनंद, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, राजेश खन्ना,अमोल पालेकर और अमिताभ बच्चन जैसे बड़े स्टार्स को भी बिना गलैमर का तड़का लगाए अपनी फिल्मों में साधारण किरदारों में ढाला। उनकी हिट फिल्मों में खट्टा मीठा, रजनीगंधा, छोटी सी बात, चित्तचोर, प्रियतमा , बातोंबातोमें , मनपंसद , चमेली की शादी रहीं ।
6.निम्मी
उसकी याद आई है सांसों जरा आहिस्ता चलो…धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है
50 से 60 के दशक की फेमस एक्ट्रेस निम्मी जिनकी खूबसूरती का जादू फिल्ममेकर्स के सिर चढ़कर बोलता था उन्होनें भी 88 साल की उम्र में 25 मार्च को लम्बी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। नवाब बानो यानि निम्मी पर जब महबूब स्टूडियो में राजकपूर की नज़र पड़ी तो वो उनकी खूबसूरती से मुत्तासिर हुए बिना नहीं रह सके और अपनी फिल्म बरसात का ऑफर दे दिया। बरसात’ सुपरहिट रही। नर्गिस और राजकपूर जैसे एक्टर्स के बावज़ूद एक सेकेंड लीड की नायिका निम्मी रातों-रात सेंसेशन बन गई । इसके बाद उनकी फिल्म आन आयी। जिसका वर्ल्डवाइड प्रीमियर हुआ। अंग्रेज़ी दर्शकों के लिए इस मूवी को ‘सेवेज प्रिंसेस’ के नाम से रिलीज़ किया गया ।
लंदन में प्रीमियर के दौरान कई देशों के सेलिब्रिटीज़ और फ़िल्मी कलाकार आए थे. इनमें से एक थे एरल लेज़ली थॉमसन फ्लिन। हॉलीवुड के उस वक्त के बेहतरीन एक्टर्स में से एक और जैसे ही उन्होनें प्रीमियर के दौरान निम्मी के सम्मान में उनका हाथ चूमने के लिए आगे बढ़ाया तो निम्मी ने अपना हाथ पीछे कर लिया और बोलीं- मैं एक हिंदुस्तानी लड़की हूं, आप मेरे साथ ये सब नहीं कर सकते। चूंकि ये सब एक मूवी के प्रीमियर के दौरान हुआ था, तो अगले ही दिन वहाँ के अखबारों में निम्मी के बारे में छपा, ’अनकिस्ड गर्ल ऑफ़ इंडिया। प्रीमियर के बाद उन्हें हॉलीवुड में काम करने का ऑफर भी आया लेकिन उन्होंने ये कहते हुए ठुकरा दिया कि उन्हें इंटिमेट सीन और चुंबन दृश्यों से काफी डर लगता है । उनकी हिट फिल्मे बसंत बहार,पूजा के फूल,सज़ा,उड़न खटोला ,भाई भाई, आकाशदीप रहीं। लव एंड गॉड उनकी आखिरी फिल्म थी।
7.सूरमा भोपाली उर्फ जगदीप
सूरमा भोपाली के किरदार से फिल्म शोले में दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाले हास्य अभिनेता जगदीप का मुंबई में 8 जुलाई को लम्बी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया औऱ इसी के साथ अपनी कॉमेडी से लोगों को हंसाने वाला कलाकार हमेशा के लिए हम सभी को रूला गया। बॉलिवुड के मशहूर ऐक्टर, कमीडियन जगदीप ने अपनी करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से की लेकिन एक कॉमेडियन के रूप में उन्हें पहचान शम्मी कपूर की फिल्म ब्रह्मचारी से मिली। जगदीप ने करीब 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्होंने 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ में सूरमा भोपाली का किरदार निभाया जो काफी मशहूर हुआ। ।जगदीप ने ‘लैला मजनू’, ‘खिलौना’, ‘आइना’, ‘ ‘फिर वही रात’, ‘पुराना मंदिर’, ‘शहंशाह’, ‘अंदाज अपना अपना’, ‘चाइना गेट’, ‘कहीं प्यार ना हो जाए’, ‘बॉम्बे टू गोवा’ जैसी फिल्मों में काम किया। जगदीप बढ़ती उम्र के साथ कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे थे और 8 जुलाई को 81 वर्ष की उम्र में उन्होनें दुनिया को अलविदा कह दिया।
8.पंडित जसराज
मेवाती घराने के विश्व प्रसिद्ध गायक पंडित जसराज का 17 अगस्त को अमेरिका में 90 वर्ष में निधन हो गया। पंडित जसराज एक विलक्षण गायक थे। उन्होंने ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’, कृष्णभक्ति की स्तुतियों ‘मधुराष्टकं’और ‘अच्युचतं केशवम्’ को शास्त्रीय ढंग से गाकर भारत के घर-घर में पहुँचाया । पण्डित जसराज ने कृष्ण उपासना को शास्त्रीय ढंग से अपने एकाधिकार का क्षेत्र बनाया था।
उनके निधन से एक बड़ी परम्परा में रिक्तता आई है। पंडित जसराज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व फलक पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी गाने गाये थे। बॉलीवुड में उनकी प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत साल 1966 में आई फिल्म “लड़की सहयाद्रि की”से हुई थी। पंडित जसराज ने कुछ साल पहले आई बॉलीवुड फिल्म 1920 के गाने वादा तुमसे है वादा को भी गाया था जो उनके स्टाइल से कुछ हटकर था।
9. गायक एसपी बालासुब्रमण्यम
मशहूर गायक एसपी बालासुब्रमण्यम जिन्होंने पांच दशकों तक लाखों लोगों को अपनी बेहतरीन औऱ सुरीली आवाज से अपना दीवाना बनाया, वो आवाज़ जो कई स्टार्स की पहचान बनी उसने भी हमारा साथ छोड़ दिया। 74 साल के इस गायक की कोविड 19 निमोनिया की वजह से 25 सितंबर को चेन्नई के अस्पताल में मृत्यु हो गयी। उन्होनें अपने 50 साल के सिंगिंग करियर में तेलुगू, तमिल, कन्नड़, हिंदी और मलयालम में 40,000 से ज्यादा गाने गाए हैं। एसपी बालासुब्रमण्यम ने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और हिंदी भाषा की 40 से ज्यादा फिल्मों में म्यूजिक डायरेक्टर का काम भी किया। एसपी बालासुब्रमण्यम भारतीय पार्श्वगायक, अभिनेता, संगीत निर्देशक, गायक और फ़िल्म निर्माता थे। उन्हें बॉलीवुड में बालू के नाम से भी जाना जाता है। उन्होनें 1966 में बतौर प्लेबैक सिंगर तेलुगू फिल्म श्री श्री श्री मर्यादा रामन्ना से डेब्यू किया। 1980 में आई फिल्म संकराभारनाम से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली। इस फिल्म में सिंगिंग के लिए उन्हें अपना पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। 1969 में बाला को अपना पहला तमिल गाना एयर्कई एन्नुम इलाया कन्नी रिकॉर्ड करने का मौका मिला। उन्होनें अपने शानदार करियर के दौरान चार भिन्न भाषाओं में 6 नेशनल अवॉर्ड जीते। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2001 में पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण से भी नवाज़ा गया। उन्होनें हिन्दी फिल्म एक दूजे के लिए औऱ सागर फिल्म में स्टार कमल हासन के लिए कई गाने गाए जो बेहद हिट रहे।
हिन्दी फिल्मों में सुपरस्टार सलमान की डेब्यू फिल्म मैने प्यार किया औऱ हम आप के है कौन… के लिए भी कई सुरीले गीत गाए जो यंगस्टर की पहली पसंद बना। 6 भाषाओं में 40 हजार से ज्यादा गाने गाने वाले एसपी बाला ने बॉलीवुड में कमल हासन, संजय दत्त, सलमान खान की रोमांटिक फिल्मों के लिए सबसे लोकप्रिय गाने गाए ।
10.सरोज खान
माधुरी,श्रीदेवी, ऐश्वर्या को डांसिंग डिवा बनाने वाली बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान ने भी 2020 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया । 3 जुलाई को 71 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई औऱ इसी के साथ बॉलिवुड ने अपनी एक बेहतरीन कोरियोग्राफर को हमेशा के लिए खो दिया । सरोज खान को बॉलीवुड में ‘डांस की गुरू’ भी कहा जाता था. अपने फिल्मी करियर में उन्होंने करीब 2000 गाने कोरियोग्राफ किए। उन्होनें अपने करियर की शुरुआत बैकग्राउंड डांसर के तौर पर की । सरोज खान ने हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर गाने कोरियोग्राफ किए। सरोज खान ने माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय और श्रीदेवी को डांसिंग क्वीन बनाया. माधुरी दीक्षित के कई गानों को सरोज खान ने कोरियोग्राफ किए। साल 1988 में आई फिल्म तेजाब का गाना ‘एक..दो..तीन..चार..’ काफी फेमस हुआ जिसने माधुरी दीक्षित को पहचान दिलाई।
माधुरी और सरोज खान की जोड़ी ने न जाने कितने ही गानों पर धमाल मचाए। माधुरी पर फिल्माए गए गाने धक धक करने लगा से लेकर डोला रे तक कई मशहूर डांस नंबर्स सरोज खान ने ही कोरियोग्राफ किए। सरोज और ऐश्वर्या की जोड़ी भी हिट रही। दोनों ने ताल, इरुवर, और प्यार हो गया, देवदास, कुछ ना कहो में एक साथ काम किया। यही नहीं श्रीदेवी के साथ सरोज खान ने कई हिट नंबर्स दिए। नगीना, निगाहें, चालबाज, मिस्टर इंडिया, चांदनी फिल्मों के डांस नम्बर्स ने श्रीदेवी को स्टार बना दिया। सरोज खान को बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। अपने खुद के एक शो ‘नचले वे विद सरोज खान’ के साथ साथ वह कई रियलिटी शो में जज भी रहीं।
11.राहत इंदौरी
मैं मर जाऊं तो अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना।
शायर राहत इंदौरी जिसने सियासत और मोहब्बत दोनों पर बराबर हक और रवानगी के साथ शेर कहे। राहत मुशायरों में एक खास अंदाज़ में प्रेमिका के लिए के शेर कहने के लिए जाने जाते हैं तो वहीं सियासत पर भी बेबाकी के साथ अपनी बात कहने से नहीं चुकते थे। लेकिन ये साल उन्हें भी हमसे जुदा कर गया। 10 अगस्त को उन्हें कोरोनावायरस की वजह से इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 11 अगस्त को उनका इन्तकाल हो गया औऱ इसी के साथ हिन्दुस्तान की वो बेबाक़ आवाज़ हमेशा के लिए खामोश हो गई। ग़ज़ल अगर इशारों की ज़ुबान है तो आफको मानना पड़ेगा कि राहत इंदौरी साहेब वो कलाकार थे जिन्होनें अपने अंदाज में झूमकर इस कला को बखूबी अंजाम दिया
बुलाती है मगर जाने का नहीं,
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं ।
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं।
राहत साहेब शेर के हर लफ्ज़ के साथ मोहब्बत की नई इबारत लिखते हैं…
किसने दस्तक दी ये दिल पर
कौन है
आप तो अंदर हैं बाहर कौन है
यही नहीं वो अपनी ग़ज़लों के ज़रिए हस्तक्षेप भी करते हैं और व्यवस्था को आइना भी दिखाते हैं
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे
उर्दू मुख्य मुशायरा नामक उनकी थीसिस के लिए उन्हें सम्मानित किया गया । उर्दू में किया गया उनका रिसर्च वर्क उर्दू साहित्य की धरोहर है। इसके अलावा राहत साहैब ने बॉलीवुड फिल्मों के कई नगमें लिखे। ‘तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है’, ‘दिल को हज़ार बार रोका’, ‘चोरी-चोरी जब नज़रे मिलीं’ जैसे कई हिट गाने दिए। इश्क को एक अलग अंदाज़ में बयां करने वाले राहत इंदौरी के सियासी शेर भी खूब कमाल के हैं। उनका एक शेर “लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में, यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है” तो न जाने कितनी बार दोहराया जा चुका है।
12.सुशांत सिंह राजपूत
सुशान्त सिंह राजपूत वो सितारा जो युवा दिलों की धड़कन था ।जब गया तो पूरे देश की आँखे नम हो गई । सुशांत सिंह राजपूत को 14 जून 2020 को मुम्बई के बांद्रा में उनके घर में मृत पाया गया। प्राथमिक सूचना के अनुसार उनके निधन का कारण आत्महत्या बताया गया, बताया गया कि सुशांत सिंह राजपूत पिछले 6 महीने से अवसाद में थे। उनकी मृत्यु के बाद मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और इसके तहत कई लोगों से पूछताछ भी हुई। उनकी पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण “दम घुटना” बताया गया। 2020 साल ने लोगों से बहुत कुछ छीना। लेकिन सुशांत की मौत ने पूरे बॉलीवुड को स्तब्ध कर दिया। हर कोई उसकी मुस्कराहट और मासूमियत को भुला नहीं पा रहा था। एक ऐसा अभिनेता जिसकी मुस्कान और मासूम चेहरे के लोग दीवाने थे उसकी मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया। पूरा बॉलीवुड शायद इस खबर पर विश्वास नहीं कर पा रहा था लेकिन सच तो यही था कि हमारा चहेता कलाकार हम सभी को छोड़कर चला गया था। सुशांत सिंह राजपूत ने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन धारावाहिक, किस देश में है मेरा दिल और पवित्र रिश्ता से की। इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। लेकिन उनके फ़िल्मी करियर की शुरुआत 2013 में आई फ़िल्म “काय पोचे” से हुई। जिसके लिए उन्हें 2014 में बेस्ट मेल का अवार्ड दिया गया। इसके बाद उन्होंने शुद्ध देसी रोमांस, पीके, डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी, केदारनाथ फिल्मों में काम किया।
2016 की फ़िल्म “एम॰ एस॰ धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी” में उन्होंने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की मुख्य भूमिका निभाई। फिल्म बेहद हिट रही। इसके लिए उनके अभिनय को सराहा गया औऱ उन्हें बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्टर क्रिटिक का अवार्ड भी दिया गया। छिछोरे, ड्राइव, राब्ता फिल्मों की भी खूब चर्चा रही। उनकी म़ृत्यु के बाद उनकी फिल्म दिल बेचारा रीलीज़ हुई जो बेहद हिट रही।
13.सौमित्र चटर्जी
कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो कला की सीमाओं को विस्तार देकर नया आयाम गढ़ते हैं और ऐसे ही कलाकार अभिनेता थे सौमित्र चटर्जी जी , जिन्होंने देश, भाषा की सीमाएं लांघ कर सत्यजीत रे की सिनेमाई दृष्टि को अभिव्यक्ति दी। 85 साल के इस महान अभिनेता ने कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से 15 ननंबर को कोलाकाता में अंतिम सांसे ली।
आपुरसंसार का अपु हमेशा के लिए हमें छोड़कर चला गया। सिनेमाजगत ने एक महान कलाकार को खो दिया लेकिन सिनेमा औऱ नाटक के क्षेत्र में उनकी विरासत हमेशा के लिए अमर रहेगी। बांग्ला फिल्मों के महान अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने अपने करियर की शुरुआत सत्यजीत रे की फिल्म ‘अपुर संसार’ से की। उन्होनें अपनी पहली फिल्म ‘अपुर संसार’ से दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। इस फिल्म में उन्होंने अपु का रोल निभाया। 1959 में आई इस फिल्म के साथ सत्यजीत रे और अपु ने सिनेमाई जगत में विश्वपटल पर अपनी पहचान बनाई। उन्होनें फिल्मों और थियेटर में कई तरह के किरदार निभाए। कविता व नाटक भी लिखे। ऑस्कर विजेता फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ उन्होनें ‘देवी’ , ‘अभिजन, ‘अर्यनेर दिन रात्रि, ‘घरे बायरे और ‘सखा प्रसखा’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। दोनों का करीब तीन दशक का साथ 1992 में सत्यजीत रे के निधन के साथ छूट गया। सौमित्र चटर्जी ने सत्यजीत रे की 14 फिल्मों समेत 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया । इसके साथ ही उन्होनें समानांतर सिनेमा के साथ-साथ कमर्शियल फिल्मों में भी खुद को बखूबी ढाला। उन्होनें दो हिंदी फिल्में ‘निरुपमा’ और ‘हिंदुस्तानी सिपाही’ भी की और साथ में ‘स्त्री का पत्र’ नाम से फिल्म भी डायरेक्ट की। सौमित्र चटर्जी को सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण, 2012 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया । साल 2018 में उन्हें फ्रांस सरकार ने अपने सबसे बड़े नागरिकता पुरस्कार “लीजन ऑफ ऑनर” से भी सम्मानित किया।
वाकई में 2020 का साल पूरे विश्व के लिए एक बुरे सपने की तरह रहा। जिसमें अपनों के बिछड़ने का गम सबसे ज़्यादा शामिल है। उम्मीद है कि आने वाला साल हम सभी के लिए जिंदगी में एक नई सुबह लेकर आएगा।