राजधानी दिल्ली में सीलिंग मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है। सोमवार (9 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि आपको दोबारा मौका नहीं मिलेगा। बशर्ते आप मोहम्मद बिन तुगलक की तरह राजधानी शिफ्ट करना चाहते हों। कोर्ट ने इस मसले पर सरकार को टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि अवैध कालोनियों में भी स्थिति को सुधारा जा सके। इस मुद्दे पर अगली सुनवाई अब 18 अप्रैल को होगी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राजधानी दिल्ली में फायर सेफ्टी की बहुत जरुरत है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राजधानी में गिरते जल स्तर पर भी चिंता जताई। जस्टिस मदन लोकुर की पीठ ने कहा है कि रेस्तरां में पानी की कितनी बर्बादी होती है ये सबको पता है। लगतार जल स्तर गिर रहा है ऐसे में आने वाली पीढ़ी का भविष्य ध्यान में रखने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा है कि अगर कोई निर्माण अवैध है तो उसे तुरंत गिराएं और अगर वैध हो तो उसकी रक्षा हो साथ ही कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक मामले में ना बदलें। सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को जवाब देते हुए कहा कि मामले को लेकर सभी की मीटिंग हुई है और पब्लिक रोड और फुटपाथ से अवैध कब्जे हटाए जाएंगे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र ने कहा था कि मास्टरप्लान में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अलग से प्रवाधान हैं और जो गलत होगा उसे हटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप लोगो की वजह से केवल दिल्ली के लोग ही नहीं, बल्कि बच्चे भी नुकसान उठा रहे हैं। सबके फेफड़े खत्म हो चुके हैं और हालात यही रहे तो आप आगे आने वाली पीढ़ी के भी फेफड़े खराब कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि भारत सरकार अपनी आंखे बंद कर सकती है पर हम नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप मास्टर प्लान में मनमाने तरीके से बदलाव कर रहे हैं और अवैध को वैध में बदल रहे हैं।

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