22 मार्च का दिन दुनियाभर में विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1993 में 22 मार्च को हर साल जल दिवस मनाने का निर्णय किया गया था। विश्व में पानी का महत्व एवं बचाव को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की।
संसार में पानी सभी प्राणियों के लिए बहुत जरूरी है। हम मनुष्य इतने स्वार्थी हो गए हैं कि हमें अपने अलावा किसी की फिक्र नहीं है। हमने अभी तक जितने आविष्कार किये हैं। उससे कई ज्यादा संसाधनों का दुरुपयोग किया है। इससे सिर्फ इंसानी जीवन ही नहीं बल्कि जितने भी जीव जंतु पृथ्वी पर रहते हैं सभी के अस्तित्व को खतरा है।
जैसे कि वृक्षों को काटना, वायु को प्रदूषित करना और सबसे अधिक पानी को दूषित करना। हम अपने घर का कचरा नदियों में फेंक देते हैं जिससे नदियों का जल जहर बनकर हमारे ही पेट में जाता है और हमें बीमारियों का शिकार बनाता है।
भारत ऐसा देश है जहां पानी पर भी राजनीतिकरण होता है। यहां पर दो लोग नहीं बल्कि दो राज्य आपस में सिर्फ पानी के लिए कोहराम मचा देते हैं। गर्मी आते ही देश की राजधानी दिल्ली और मुंबई के पास के क्षेत्रों में पानी का संकट शुरु हो जाता है। तमाम नगरपालिकाओं के चुनाव का मुद्दा ही पानी होता है लेकिन रूठे हुए को मनाकर सरकार बनाने के बाद सब जुमला ठहरा दिया जाता है।
आपको बता दें कि हमारे देश में राष्ट्रीय जल नीति 1987 और 2012 बनाई गई। दोनों में लगभग समान बातें कही गई हैं। लेकिन उन बातों का किसी को भी कुछ समझ नहीं आया। अगर हम देश के मात्र 5 फीसदी क्षेत्रफल में होने वाली बारिश के पानी को इकट्ठा कर सकें तो एक बिलियन लोगों को 100 लीटर पानी प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन मिल सकता है।
हमारे देश की एक बड़ी अजीब बात है। अब इसे संयोग कहें या दुर्भाग्य। देश के कई हिस्सों में हर साल बाढ़ आती है और उन्हीं इलाकों में सूखा भी पड़ता है। फिर चाहे मध्य प्रदेश का मालवा हो या उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल। यूपी के बुंदेलखंड की तो बात करना ही राष्ट्रीय जल की तमाम नीतियों का अपमान करना होगा। इन नीतियों में जो कुछ भी लिखा है अगर उसका 50 प्रतिशत भी लागू हो जाए तो समस्या ही खत्म हो जाए।
जाने क्या हैं? विश्व जल दिवस की थीम
वर्ष 1993 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “शहर के लिये जल”
वर्ष 1994 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “हमारे जल संसाधनों का ध्यान रखना हर एक का कार्य है”।
वर्ष 1995 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “महिला और जल”
वर्ष 1996 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “प्यासे शहर के लिये पानी”
वर्ष 1997 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “विश्व का जल: क्या पर्याप्त है”
वर्ष 1998 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “भूमी जल- अदृश्य संसाधन”
वर्ष 1999 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “हर कोई प्रवाह की ओर जी रहा है”
वर्ष 2000 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “21वीं सदी के लिये पानी”