अफगानिस्तान पर पूरी तरह नियंत्रण करने वाले तालिबान ने कहा था कि वो महिलाओं के प्रति कड़ा रुख नहीं अपनाएगा और उन्‍हें आजादी देगा, लेकिन उसकी इस बात पर किसी को भी भरोसा नहीं है कयोंकि अफगानिस्‍तान के लोग तालिबानी आतंकियों की क्रूरता से परिचित हैं। इन लोगों के दिलों से 20 साल पहले की याद और उस दौरान मिले जख्‍म अभी तक भरे नहीं हैं। आपको बता दें कि पहले भी तालिबान शरिया कानून के नाम पर महिलाओं को निशाना बनाता था और इस बार भी उसकी मंसा बेहद साफ नजर आ रही हैं।

तालिबान की हरकतों से परिचित है पूरी दुनिया
तालिबानी की क्रूरता से केवल अफगानी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया परिचित है। इसलिए ही तालिबान के सत्‍ता पाने से कोई खुश नहीं है। इतना ही नहीं वहां के लोग और अंतरराष्‍ट्रीय जगत भी चाहता है कि तालिबान को न सिर्फ सत्‍ता से बल्कि इसको पूरी तरह से खत्‍म कर दिया जाना चाहिए। आपको बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्‍त को काबुल पर कब्‍जा किया था। उस वक्‍त से तालिबान कह रहा है कि वो महिलाओं को पढ़ने, काम करने की आजादी देगा। इसके अलावा तालिबान ने महिलाओं का अपनी सरकार में भागीदार बनने का भी आह्वान किया था।

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कानून शरीयत के तहत महिलाओं को आजादी

तालिबान कह चुका है कि वो इस्‍लामिक कानून शरीयत के तहत महिलाओं को आजादी देगा। इन बयानों के कुछ ही घंटों के बाद तालिबान अपनी पुरानी करतूतों पर वापस भी आ गया। काबुल पर कब्‍जे के महज 48 घंटों बाद एक शख्‍स को सरेआम फांसी पर लटका दिया गया। इसके अलावा खाने में नमक कम होने पर एक महिला को जिंदा जला देना इस बात का सीधा सबूत है। महिलाओं को काम करने की आजादी की घोषणा करने वाले तालिबान ने अफगानिस्‍तान के सरकारी टीवी और रेडियो में काम करने वाली महिलाओं को दफ्तर में घुसने तक ही इजाजत नहीं दी थी। तालिबान के आने के बाद अफगानिस्‍तान में दुकानों पर महिलाओं के पोस्‍टर और इमेज को काला कर दिया गया है।


अफगानिस्‍तान एक पूर्व जज का बयान
अफगानिस्‍तान की पूर्व जज नाज्‍ला अयोबी ने एक चैनल को दिए इंटरव्‍यू में यहां तक कहा है कि तालिबान के आने के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्‍या भी काफी बढ़ गई है। उन्‍होंने ये भी बताया है कि तालिबान अपने आतंकियों के लिए जबरदस्‍ती लोगों से खाना बनवा रहा है। इतना ही नहीं अपने युवा आतंकियों के लिए वो जबरन युवतियों को शादी के लिए बाध्‍य भी कर रहा है।

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क्या है शरिया कानून ?

शरिया कानून इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है। ये क़ुरआन और इस्लामी विद्वानों के फैसलों को मिलाकर तैयार किया गया है। शरिया का शाब्दिक अर्थ- “पानी का एक स्पष्ट और व्यवस्थित रास्ता” है। इस्लामी विद्वानों के मुताबिक शरिया कानून जीवन जीने का रास्ता बताता है। सभी मुसलमानों से इसे मानने की उम्मीद की जाती है। शरिया का मकसद मुसलमानों को यह समझने में मदद करना है कि उन्हें अपने जीवन को ख़ुदा की इच्छा के अनुसार कैसे जीना है।


मुसलमानों के दैनिक जीवन में क्या है शरिया का रोल ?
शरिया कानून किसी मुसलमान के रोजाना के हर पहलू के बारे में व्यवस्था देता है। दैनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों, मसलन पारिवारिक क़ानून, वित्त और व्यवसाय के लिए मार्गदर्शन के लिए भी मुसलमान शरिया कानून की मदद ले सकता है।

शरिया में कैसे दी जाती है सजा ?
शरिया कानून अपराधों को दो सामान्य श्रेणियों में विभाजित करता है। पहला, ‘हद’, जो गंभीर अपराध हैं और इसके लिए अपराध तय किए गए हैं और दूसरा, ‘तज़ीर’ अपराध। इसकी सजा न्याय करने वाले के विवेक पर छोड़ दी गई है। हद वाले अपराधों में चोरी शामिल है। इसके लिए अपराधी के हाथ काटकर दंड दिया जा सकता है। व्याभिचार करने पर पत्थर मारकर मौत की सजा दी जा सकती है।

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