बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने आज सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है। कोर्ट ने माना है कि बिहार सरकार जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रही।

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने कल इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने की बात कही थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले को लेकर बेहद कमजोर एफआईआर दर्ज की गई है। कोर्ट ने दर्ज एफआईआर को बदलने का आदेश दिया था। जिसके लिए 24 घंटे का समय दिया गया था।

जिसके बाद आज बिहार सरकार ने बताया कि ज़रूरी धाराएं एफआईआर में जोड़ दी गयी हैं। कोर्ट पुलिस को जांच करने दे। जांच की निगरानी आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे। एक हफ्ते में पुलिस कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करेगी। इसे देखने के बाद ही कोर्ट कोई फैसला ले।

लेकिन जस्टिस मदन बी लोकुर, दीपक गुप्ता और अब्दुल नजीर की बेंच इन बातों से संतुष्ट नजर नहीं आई। कोर्ट ने सीबीआई के वकील से कहा कि वो कार्यवाहक निदेशक से बात कर के बताएं कि सीबीआई जांच को तैयार है या नहीं कुछ देर बाद वकील ने सहमति जताई।

इसके बाद कोर्ट ने सभी 17 मामले सीबीआई को सौंप दिए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से सभी मामलों पर 31 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने ये भी कहा है कि जांच में लगे अधिकारियों का ट्रांसफर कोर्ट की इजाज़त के बिना नहीं किया जा सकता।

बता दें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई अपने सोशल ऑडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर के साहु रोड स्थित बालिका सुधार गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ कई महीने तक रेप और यौन शोषण होने का खुलासा किया था।

मेडिकल जांच में शेल्टर होम की कम से कम 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई थी। पीड़ित कुछ बच्चियों ने कोर्ट को बताया कि उन्हें नशीला पदार्थ दिया जाता था फिर उनके साथ रेप किया जाता था।

यह घटना सामने आने पर नीतीश सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को खूब निशाना बनाया था।

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