जयापुर और नागेपुर के बाद 2 जुलाई 2017 को जब वाराणसी सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ककरहिया गांव को गोद लिया गया तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा था…गांव वालों की आंखों में जयापुर और नागेपुर की तरह विकास का सपना चमकने लगा… काशी विद्यापीठ ब्लाक से लगभग 8 किलोमीटर दूर बसे ककरहिया गांव को जिस वक्त गोद लिया गया था, उस वक्त तमाम तरह की बुनियादी सुविधाओं का अभाव था… क़रीब 2000 आबादी वाले ककरहिया गांव में ना तो सड़कें थी, ना ही ढंग से बिजली की व्यवस्था थी और न ही गांव वालों को स्वच्छ पानी नसीब था…

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए भी ये गांव तरस रहा था…बेराजेगारी का आलम तो ये था कि गांव की एक तिहाई आबादी रोजाना शहरों में मजदूरी की तलाश में जाती थी… विकास के नाम पर सिर्फ एक प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल भर था… ककरहिया गांव को गोद लिए अब 10 महीने हो चुके हैं ऐसे में ये गांव कितना आदर्श बना इसी का जायजा लेने के लिए हम ककरहिया गांव पहुंचे…

जब हम ककरहिया पहुंचे तो बदलाव नजर आने लगे… गांव की मुख्य सड़क ठीक दिखी… गांव की ज्यादातर सड़कें हमें आरसीसी की बनी दिखी… इससे पहले जब हमने इस गांव का दौरा किया था तो गांव की ज्यादातर संपर्क सड़कें बदहाल थीं… लेकिन आज गांव की ज्यादातर सड़कें बन चुकी हैं… हालांकि गांव के अंदर की कुछ संपर्क सड़कें थोड़ी जर्जर हालत में देखने को मिली…

जब हम सड़कों का जायजा ले रहे थे तो मुख्य मार्ग पर ही कुछ स्कूली लड़कियां पैदल आती दिखी, जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि गांव में आठवीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं है ,इसलिए दूर जाना पड़ता है…लड़कियों की परेशानी जानने के बाद हम गांव के प्राथमिक स्कूल पहुंचे…स्कूल का प्रवेश द्वार सुंदर बना हुआ है और स्कूल की बिल्डिंग भी बाहर से दुरूस्त दिखी… प्राथमिक स्कूल कैंपस में ही आंगनवाड़ी केन्द्र खुला है जिसे नंदघर का नाम दिया गया है… नंदघर की इमारत भी बेहद सुंदर है… दीवारों पर बनी चित्रकारी बच्चों को यहां आने के लिए आकर्षित करती है लेकिन जब हम यहां पहुंचे तो बच्चों की छुट्टी हो चुकी थी……

आदर्श गांव ककहरिया में आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूल के साथ ही पूर्व माध्यमिक स्कूल भी हैं… पूर्व माध्यमिक स्कूल में क्लास 6 से 8 तक की पढ़ाई होती है लेकिन इसके बाद की पढ़ाई बच्चे कैसे करें ये बड़ा सवाल है… लड़के तो किसी तरह से दूर दूसरे गांव जाकर पढ़ाई कर लेते हैं लेकिन लड़कियों के लिए दूसरे गांव या शहर जाकर पढ़ाई करना बड़ी समस्या है ऐसे में गांव की लड़कियों की मांग है कि गांव में ही इंटर और डिग्री कॉलेज खोली जाए ताकि वो आगे की पढ़ाई बिना किसी परेशानी के जारी रख सकें

स्कूल का जायजा लेकर जब हम आगे बढ़े तो हमारी नजर ग्राहक सेवा केन्द्र पर पड़ी… यूनियन बैंक ने यहां ग्राहक सेवा केंद्र खोला है ,जिससे गांव के लोगों को अब बड़ी सुविधा हो रही है लेकिन डाकघर के नहीं होने से गांव वालों को कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है

हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गोद लिए गांव ककरहिया में विकास अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है… बिजली, सड़क, पानी के मामले में विकास के कई कार्य धरातल पर नजर आने लगे हैं… आदर्श गांव बनने के बाद से गांव में बिजली की व्यवस्था में भी सुधार आई है… तार और बिजली के खंभे दुरुस्त है… नए ट्रांसफॉर्मर लगे हैं और घरों में बिजली के मीटर भी लगे हुए हैं … वहीं गांव में पानी की समस्या को भी दूर किया गया है… पानी के लिए बोरिंग हो चुकी है और पाइप लाइन बिछाई गई है…और लोगों के घरों में पानी सप्लाई हो रही है… फिर भी कई समस्याएं है जो आदर्श गांव ककरहिया के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है…

स्वास्थ्य सुविधाएं आदर्श गांव के लिए एक बुनियादी शर्त है लेकिन ककरहिया गांव आजादी के 70 साल बाद भी एक अदद स्वास्थ्य केन्द्र के लिए तरस रहा है… ऐसे में जब इस गांव को प्रधानमंत्री ने गोद लिया तो गांव वालों को लगा कि 70 साल का इंतजार खत्म होगा लेकिन गांव को गोद लिए करीब 10 महीने बीत गए है और गांव में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बरकरार है…गांव के लोगों को बीमारी के हालत में बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है…इलाज के लिए वाराणसी या फिर दूसरे गांव जाना पड़ता है

गांव में भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है लेकिन बीमारियों को जन्म देने वाली गंदगी से इस गांव को निजात मिल गई है… आदर्श गांव ककरहिया में पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान का असर दिख रहा है… ज्यादातर घरों में शौचालय बन चुके हैं जिससे गांव वालों को अब खुले में शौच से मुक्ति मिल गई हैं… गांव को ODF घोषित कर दिया गया है हालांकि कुछ लोग अभी भी पुरानी आदतों की वजह से खुले में शौच जा रहे है…

गांव के विकास की नब्ज़ टटोलते हुए हम गांव के नुक्कड़ पहुंच गए, जहां हमारी मुलाकात गांव के पूर्व प्रधान मनोज सिंह से हो गई…पूर्व प्रधान मनोज सिंह के कार्यकाल में ही ककरहिया गांव को गोद लिया गया था… गांव के पूर्व प्रधान के मुताबिक अभी गांव में कई समस्याएं है लेकिन फिर भी पीएम मोदी ने अपने गोद लिए गांव में कई बुनियादी सुविधाओं में इजाफा किया है और कई कामों को किए जाने की योजना है

पूर्व प्रधान से बात कर जब हम गांव में आगे बढ़े तो आदर्श गांव ककरहिया में महिला सशक्तिकरण की तस्वीर नजर आई…महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध करने के लिए खादी ग्राम उद्योग की ओर से सोलर चरखा केन्द्र खोला गया है ,जहां महिलाएं धागा बनाना सीखती है , प्रशिक्षण के बाद संस्था महिलाओं को किस्त पर सोलर तरखा भी मुहैया करा देती है… चरखा के जरिए गांव की महिलाएं करीब दो सौ रूपया रोजाना कमा रही हैं…

ककरहिया गांव के लोग मुख्यतः खेती पर ही निर्भर है… खेतीबाड़ी यहां के लोगों के रोजगार का मुख्य साधन है… गांव में धान, गेंहू, हरी सब्जी के साथ ही फूलों की खेती भी की जाती है… खेती-किसानी के बीच इस गांव में खेल-कूद का बड़ा माहौल है… ककरहिया गांव जूडो और कुश्ती के लिए भी मशहूर है… गांव के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं… खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के लिए यहां एक अखाड़ा भी बना हुआ है…लेकिन गांव वालों की मांग है कि गांव में खेल सुविधाओं के विकास के लिए स्टेडियम बनाया जाए…अब गांव वालों की ये मांग कब पूरी होगी लेकिन फिलहाल तो गांव के खिलाड़ी सड़कों किनारे या बगीचे में खेलने को मजबूर है

—पीयूष रंजन, आउटपुट

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