कानपुर में अवैध तरीके से बन रही बिल्डिंग बुधवार को जमीन में धँस गयी थी। बिल्डिंग गिरने से काम कर रहे मजदूर उस बिल्डिंग के मलबे के नीचे दब गए थे। सेना और एनडीआरएफ की टीम ने गुरूवार रात तक आठ लोगों के शव निकल लिए थे। जबकि 25 घायल मजदूरों को भी मलबे से निकला लिया था। लेकिन अभी भी मलबे के नीचे कई लोगों के दबे होने को लेकर मजदूरों के परिजनों ने जमकर हंगामा करना शुरू कर दिया।
मजदूरों के परिजनों का आरोप है 150 से अधिक मजदूर मरे हैं लेकिन प्रशासन बहुत कम बता रहा है। परिजनों को मृतकों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। जो लोग मिलने के बोल रहे है उन्हें जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। प्रशासन सपा नेता मेहताब आलम से मिला हुआ है और यहां से मृतकों के शवों को गायब करा दिया गया है। कई मजदूर गायब है जबकि प्रशासन की ओर हमें अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है कि हमारे घर वाले कहाँ है। इसलिए सैकड़ों मजदूरों के परिजनों ने पहले तो केडीए चौराहा जाम किया और उसके बाद लखनऊ कानपुर रोड भी जाम कर दिया।
इस दौरान रास्ते में लोगों ने मेहताब आलम के घर के बाहर भी जमकर नारेबाजी की और मेहताब आलम मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। परिजनों ने कासीराम ट्रामा सेंटर से लेकर हैलेट अस्पताल तक मजदूरों को ढूंढ लिया लेकिन उनके अपनों का कोई पता नहीं चला है। सीओ गौरव बंसवाल का कहना है कि “निर्माणाधीन बिल्डिंग में दबे मजदूरों की शिनाख्त को लेकर इन लोगों ने जाम लगाया है। डेडबॉडी की पहचान नहीं हो पा रही है इसलिए थोड़ी सी टेंशन है। डेडबॉडी की गायब होने वाली घटना से साफ इंकार किया है।”