दुनियाभर के हथियारों और इसे जुड़े हुए मामलों पर नजर रखने वाले स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट- सिपरी (SIPRI) ने बताया कि वैश्विक स्तर पर हथियारों की बिक्री लगातार सातवें साल बढ़ी है. जारी कि गई रिपोर्ट में कहा गया है कि, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia – Ukraine War) के कारण आई सप्लाई चेन (Supply Chain) में बाधा का भी हथियारों के धंधे पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.
सोमवार को जारी किये गये स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के नए आंकड़ें बताते हैं कि, दुनिया की 100 सबसे बड़ी रक्षा कंपनियों की हथियार और सैन्य सेवाओं की बिक्री 2021 में 1.9 फीसदी बढ़कर 592 बिलियन डॉलर (47.37 लाख करोड़) तक पहुंच गई है.
सिपरी द्वारा जारी किए गए आर्म्स इंडस्ट्री डेटाबेस (SIPRI Arms Industry Database) में बताया गया है कि 2019-2020 में 1.1 फीसदी की वृद्धि से लगातार सातवें साल हथियारों की बिक्री बढ़ी है. सिपरी द्वारा जारी किये गए प्रेस नोट में कहा गया है कि “सप्लाई चेन के ठप पड़ने और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हमें हथियारों के व्यापार में गिरावट का अनुमान था”.
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भारतीय कंपनियों के बारे में क्या कहा गया है? What about Indian Companies?
SIPRI की रिपोर्ट में बताया गया है कि शीर्ष 100 में शामिल दो भारतीय कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री 2021 में 5.1 बिलियन डॉलर (40,000 करोड़ रुपए) थी. भारत की दो कंपनियां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (42वें स्थान पर) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (63वें स्थान पर) की हथियारों की बिक्री में क्रमशः 6.7 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. सिपरी ने आगे लिखा है कि हाल के वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा दिए गए बड़े हथियार ऑर्डर से दोनों कंपनियों को लाभ हुआ है. इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज, जो शीर्ष 100 के 2020 संस्करण में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई थी को अक्टूबर 2021 में सात छोटी कंपनियों में बांट दिया गया था जिसके चलते वो इस रैंकिंग से बाहर हो गई.
हथियारों के कम बिक्री की थी उम्मीद, लेकिन डिमांड बढ़ी
सिपरी मिलिट्री एक्सपेंडिचर एंड आर्म्स प्रोडक्शन प्रोग्राम के डायरेक्टर लूसी बेराउड-सुद्रेउ ने कहा कि “आने वाले दिनों में हम हथियारों की बिक्री में और अधिक वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं. इस पर सप्लाई चेन में लगातार आ रही समस्याओं का कोई असर नहीं पड़ा है.“
रिपोर्ट मे कहा गया है कि, कई हथियार कंपनियों ने बताया कि 2021 में उनकी बिक्री कुछ हद तक प्रभावित जरूर हुई थी, लेकिन पूरी तरह रुकी नहीं. कुछ कंपनियों, जैसे एयरबस (यूरोपियन हथियार एवं जहाज निर्माता) और दुनिया की पांचसी सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनी जनरल डायनेमिक्स (General Dynamics) ने मजदूरों की कमी की बात कही है. इन कंपनियों ने कहा कि हमारे पास ऑर्डर हैं, लेकिन उसे बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में लोगों की कमी है.
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रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई असर (No impact of Russia – Ukraine War)
रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 फरवरी 2022 से जारी रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण दुनियाभर की हथियार निर्माता कंपनियों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chains) पर असर पड़ने की प्रबल संभावना थी, इसके पिछे का प्रमुख कारण पश्चिमी देशों के लिए रूस हथियारों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता था. ऐसे में अनुमान जताया जा रहा था कि यह अमेरिका और यूरोपीय देशों को अपनी सेना को मजबूत करने के कदमों को कुछ हद तक सीमित कर सकता था. क्योंकि अमेरिका के नेतृत्व में इन देशों ने यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियारों और दूसरे जरूरी उपकरणों की आपूर्ति की थी. ऐसे में इन देशों के अपने हथियारों के गोदाम खाली हो गए थे, जिन्हें भरना जरूरी था.
रूस – यूक्रेन युद्ध एवं यूरोप और अमेरिका
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में हथियारों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है. युद्ध की शुरुआत के बाद से, पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को सैन्य उपकरण और वित्तीय सहायता प्रदान की है. हालांकि, जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता जा रहा है, इन देशों के हथियारों के भंडार छोटे होते जा रहे हैं.
यूक्रेन रक्षा संपर्क समूह (The Ukraine Defense Contact Group) (संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाला 50 से अधिक देशों और संगठनों का एक समूह) जिसने यूक्रेन की सहायता करने का संकल्प लिया है. ये समूह ही हथियारों के उत्पादन को बढ़ावा देने और भंडार को फिर से भरने के प्रयासों का समन्वय कर रहा है. उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2022 के अंत तक, अमेरिकी सरकार ने अपने आयुध भंडार को फिर से भरने के लिए हथियार कंपनियों को कई अनुबंध (Contract) दिए थे.
इनमें स्टिंगर मिसाइलों के लिए रेथियॉन टेक्नोलॉजीज के साथ $624 मिलियन का ऑर्डर शामिल था; जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलों (Javeline Antitank Missile) के लिए लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन टेक्नोलॉजीज के बीच एक संयुक्त उद्यम साझेदारी के साथ $663 मिलियन का ऑर्डर; और हिमार्स लाइट मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (HIMARS) के लिए लॉकहीड मार्टिन के साथ $95 मिलियन का ऑर्डर.
दुनिया की शीर्ष 100 कंपनियों में 40 अमेरिकी (40 American Companies in top 100)
जारी कि गई रिपोर्ट में बताया गया है कि, अमेरिकी कंपनियों ने 2021 में कुल 299 बिलियन डॉलर (लगभग 24 लाख करोड़ रुपए) की बिक्री की. दुनियाभर की शीर्ष 100 हथियार निर्माता कंपनियों की सूची में अकेले अमेरिका की 40 कंपनियां शामिल हैं. इसके अलावा पिछले कुछ महीनों से मजबूत होते डॉलर के दामों से अमेरिकी कंपनियों ने कम हथियार बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाया है. इस लिस्ट में शीर्ष पर काबिज 5 कंपनियों में सभी अमेरिका की हैं. इनमें लोकहीड मार्टिन (Lockheed Martin), रेथियॉन टेक्नोलॉजीज (Raytheon Technologies), बोइंग (Boeing), नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन (Northrop Grumman) और जनरल डायनेमिक्स (General Dynamics) शामिल हैं.
चीन ने चौंकाया (China surprised all)
5 दिसंबर को जारी कि गई इस रिपोर्ट में चीनी हथियार कंपनियों के धंधे ने पूरी दुनिया को अचरज में डाल दिया है. सिपरी द्वारा जारी कि गई लिस्ट के अनुसार 100 कंपनियों की इस सूची में चीन (China) की 8 हथियार निर्माता कंपनियां शामिल हैं. इन्होंने कुल मिलाकर 109 बिलियन डॉलर (8.72 लाख करोड़ रुपए) के हथियार बेचे हैं. यह पिछले साल की तुलना में 6.3 फीसदी ज्यादा थे. चीन की आठ कंपिनयों में से चार निर्माता तो शीर्ष 10 में भी शामिल हैं.
चीन को लेकर शोध करने वाले सिपरी के शोधकर्ता जिओ लियांग ने कहा कि 2010 के बाद से दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था चीन के हथियार उद्योग ने रफ्तार पकड़ी है. 2021 में चीन ने दो मौजूदा कंपनियों के बीच विलय के बाद 11.1 बिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री की. चीन का सीएसएससी (CSSC) दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री सैन्य जहाज निर्माता बनकर उभरा है.