मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने वाले पांच साधुओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया।

मंगलवार को राज्य सरकार ने नर्मदा नदी के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति नर्मदा नदी के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाएगी। राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक 31 मार्च को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषत: नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान के लिए विशेष समिति का गठन किया गया है। आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इस समिति के 5 विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है और कहा कि इन साधुओं का सामजिक योगदान ज्यादा है।

दिलचस्प बात यह है कि इस फैसले से ठीक पहले संत समाज की एक बैठक में शिवराज सरकार पर नर्मदा घोटाले का आरोप लगाया गया था। 45 जिलों के साधु-संत समाज ने 45 दिन की नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। यह रथयात्रा एक अप्रैल से शुरू हो गई थी और इसे 15 मई तक चलना था। इस यात्रा का नेतृत्व कंप्यूटर बाबा कर रहे थे और इसके संयोजक पंडित योगेंद्र महंत थे।

इन दोनों का ही नाम उन पांच बाबाओं में है जिन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला है। साधु-संत समाज ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाए थे कि नर्मदा के किनारे 6 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया है जिसका नामोनिशान नहीं है। इसके अलावा अवैध उत्खनन किया जा रहा है। अब मंत्री बनते ही इन बाबाओं के सुर बदलते नजर आ रहे हैं। कंप्यूटर बाबा का कहना है कि शिवराज सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। नर्मदा पर एक समिति बना दी है और हमें उसका सदस्य बना राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है।

मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कंप्यूटर बाबा ने सभी साधुओं की ओर से सीएम शिवराज सिंह चौहान को शुक्रिया कहा है।

वहीं 5 साधुओ को राज्यमंत्री का दर्जा देने के फैसले पर सूबे की सियासत अचानक गर्म हो गई। सीएम शिवराज के इस कदम के बाद विपक्ष ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने शिवराज के फैसले पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे ढोंग करके शिवराज सिंह चौहान अपने पापों को धोने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनावी साल में साधु-संतों को लुभाने की कोशिश नाकाम होने वाली है।

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