कर्नाटक में राहुल की कांग्रेस ने लिंगायत कार्ड को लेकर बीजेपी के खिलाफ बड़ा दांव खेला तो बीजेपी ने कांग्रेस पर सौ सुनार की और एक लोहार की तर्ज पर करारा वार कर डाला…बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि केंद्र सरकार लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा नहीं देगी…अमित शाह का ये बड़ा ऐलान है क्योंकि, कर्नाटक में मौसम चुनावी है…सूबे की सियासत में अहम मोड़ लाने वाले लिंगायतों का संख्याबल 18 फीसदी है…साथ ही सामाजिक और आर्थिक तौर पर बेहद मजबूत भी हैं…
अमित शाह ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने के कदम को हिंदुओं को बांटने वाला करार दिया…उन्होंने कहा कि लिंगायत समुदाय के सभी महंतों का कहना है कि समुदाय को बंटने नहीं देना है और वे इस बात की गारंटी देते हैं कि, जब तक बीजेपी है कोई बंटवारा नहीं होगा…अमित शाह ने वीरशैव लिंगायत के महंतों से कहा, ‘लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की राज्य सरकार की सिफारिश को केंद्र सरकार नहीं मानेगी…
अमित शाह इससे पहले भी लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने का विरोध कर चुके हैं…बीजेपी अध्यक्ष ने सिद्धारमैया सरकार पर लिंगायत समुदाय को बांटने के आरोप लगाए हैं…शाह कह चुके हैं कि, कांग्रेस को लिंगायतों से लगाव नहीं है बल्कि उनका मकसद कर्नाटक में लिंगायतों के बड़े नेता येदियुरप्पा को सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री बनने से रोकना है…शाह के बयान को इस बात से भी बल मिलता है क्योंकि, 2013 में पिछली यूपीए सरकार ने भी लिंगायत और वीरशैव के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी…
वहीं चुनाव को देखते हुए कर्नाटक कैबिनेट ने बीते 19 मार्च को केंद्र सरकार से लिंगायत और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यकों का दर्जा देने की सिफारिश की थी…कर्नाटक सरकार ने नागमोहन समिति की सिफारिशों को स्टेट माइनॉरिटी कमीशन ऐक्ट की धारा 2डी के तहत इसे मंजूरी दी…चुनाव में फायदे को देखते हुए कांग्रेस ने लिंगायत धर्म को अलग धर्म का दर्जा देने का समर्थन करती दिखी…वहीं, बीजेपी लिंगायतों को हिंदू धर्म का ही हिस्सा मानती है…
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लिंगायत समुदाय के चित्रदुर्ग मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरानारु ने पत्र भी लिखा था…’‘कांग्रेस का लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने का प्रस्ताव सही है…यह समुदाय को बांटने के लिए उठाया गया कदम नहीं है बल्कि यह लिंगायतों की उपजातियों को संगठित करने के लिए किया गया प्रयास है.’
अमित शाह के बेबाक बयान से साफ है कि, केंद्र सरकार कांग्रेस के लिंगायत प्रस्ताव या यूं कहें कि, कार्ड को मंजूरी नहीं देगी…इस मुद्दे को लेकर आगामी कर्नाटक चुनाव में भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं…खबर है कि, पूर्व में मोदी कैबिनेट की बैठक में बहुमत से लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देने के खिलाफ प्रस्ताव रखा था…जिसमें कैबिनेट ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के फैसले की आलोचना की थी…कहा गया है कि लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने से दलितों के आरक्षण में कमी आएगी…
सूत्रों के मुताबिक राम विलास पासवान ने कर्नाटक सरकार के फैसले का जोरदार विरोध किया…कहा कि, मौजूदा कानून के मुताबिक सिर्फ हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म से जुड़े दलितों को नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया जा रहा है…इस संप्रदाय में कई ऐसे लोग हैं जो एससी हैं…ऐसे में अगर उन्हें अलग धर्म की मान्यता दी जाती है तो उन्हें एससी कैटेगरी के तहत मिलने वाले आरक्षण के लाभ से वंचित होना पड़ेगा…क्योंकि, सिर्फ सिख, हिंदू और बौद्ध धर्म के एससी को यह आरक्षण मिलता है…ऐसे में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देना उन्हें आरक्षण से दूर करना होगा…
जबकि, नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने भी कहा था कि, एक ही धर्म के लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है, जो लोग इसके पीछे जिम्मेदार हैं वो राक्षसी प्रवृत्ति के तहत बांटों और राज करो की नीति अपना रहे हैं…वे कह चुके हैं कि, हिंदुओं को संप्रदाय में बांटा जा रहा है, जो किसी भी देश और समाज के लिए घातक हो सकता है…कांग्रेस शासित कर्नाटक में भाजपा का पारंपरिक वोट माना जाता है…ऐसे में अब यह देखना होगा कि, अमित शाह के ताजा बयान पर लिंगायतों की क्या प्रतिक्रिया आती है, वे कर्नाटक में लिंगायतों के बड़े नेता येदियुरप्पा को सीएम बनाने के लिए बीजेपी के साथ आते हैं या उसे सबक सिखाने के लिए…
—कुमार मयंक एपीएन