उच्चतम न्यायालय ने आज एक याचिका की सुनवाई के दोरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया इस याचिका मे जूम ऐप पर एक कानून बनने तक आधिकारिक और व्यक्तिगत उपयोग के लिए के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी थी और ‘ज़ूम ऐप मे उपयोग के दोरान सुरक्षा और गोपनीयता जोखिमों में एक संपूर्ण तकनीकी अध्ययन की मांग की गयीं|
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने श्रीमती हर्ष चुघ की ओर से वाजिह शफीक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर गयी|जो कि ‘ज़ूम’ एप्लीकेशन की गोपनीयता और सुरक्षा जोखिम को देखते हुए भी इस समय सबसे ज्यादा उपयोग किया जा रहा है इसका सबसे प्रयोग वीडियो संचार यानी वीडियो और ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग, मीटिंग, चैट और वेबिनार के लिए किया जा रहा है|
याचिकाकर्ता ने बताया कि मीडिया सूत्रों द्वारा रिपोर्ट किए गए विभिन्न तथ्यों और घटनाओं के मद्देनजर यह याचिका दायर की गई है ये रिपोर्ट जूम ऐप के माध्यम से साइबर सुरक्षा मे होने वाले उल्लंघन को प्रदर्शित करती है|जूम ऐप सभी स्मार्ट फोन, टैबलेट, लैपटॉप और कंप्यूटर के लिए ऐप स्टोर पर मुफ्त मे उपलब्ध है। और इसलिए इसका डाउनलोड और उपयोग या दुरुपयोग बहुत आसान है।
याचिकाकर्ता ने आगे बताया है कि जूम वीडियो कम्युनिकेशंस के सीईओ ने पहले ही सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके है और इस ऐप को डिजिटल रूप से सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के मामले में दोषपूर्ण माना गया है जो साइबर सुरक्षा के मानदंडों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और साइबर और सूचना सुरक्षा (C & IS) डिवीजन ऑफ एमएचए को सुरक्षा उल्लंघनों के बारे में अच्छी तरह से पता है, हालांकि अब तक न तो ऐप को प्रतिबंधित किया गया है और न ही जनता की सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाए गए हैं|
यह भी कहा गया है कि “इस बात को लेकर चिंता है कि अब ‘ज़ोम्बॉम्बिंग’ क्या है? जहाँ एक अनधिकृत व्यक्ति या अजनबी जूम मीटिंग / चैट सत्र में शामिल होता है और आपत्तिजनक बातें कहकर अव्यवस्था का कारण बनता है और अश्लील फोटो को साझा करते हुए मीटिंग को असहज बनाता है। ”
इसके अलावा लॉकडाउन के समय में सभी स्कूलों, एजेंसियों, कॉरपोरेट्स और तो और में भारत के सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न अन्य उच्च न्यायालयों सहित कानून की अदालत ने भी जूम ऐप के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा कार्य किया है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने कामकाज के लिए Vidyo Mobile / Computer App को अपनाया है जो कि नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा लागू किया गया है, परंतु अन्य उच्च न्यायालय अभी भी जूम ऐप का उपयोग कर रहे हैं।









