राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक ऐसा संगठन है जो देश में विपत्ति पड़ने पर दूसरों की मदद करता है। ये विपत्तियां प्राकृतिक, आर्थिक या सामाजिक कुछ भी हो सकती है। हालांकि इस संगठन को देखने वालों का नजरिया अलग-अलग है। कई लोग हैं जो इसे एक हिंदूवादी संगठन के रूप में भी देखते हैं जबकि संघ का मानना है कि ये लोगों द्वारा फैलाया गया एक अफवाह है और संघ सभी देशवासियों के लिए काम करता है। अब लोगों के नजरियों को बदलने के लिए संघ ने कमर कस ली है। संघ कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर रशीद ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी को पत्र लिखा है। जिसमें वीसी से एएमयू कैंपस में संघ की शाखा लगाने की अनुमति मांगी है। संघ की ओर से लिखे गए लेटर पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है साथ ही इसे ध्रुवीकरण का एक और पहलू बताया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कहना है कि वह ऐसा अल्पसंख्यक समूह के बीच राइट विंग संगठनों के बारे में बनी गलत धारणाओं को दूर करने के लिए करना चाहता है। पत्र में आरएसएस ने कहा है कि संगठन की असली विचारधारा से छात्रों का परिचय कराना उनके लिए महत्वपूर्ण है। आरएसएस कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर राशिद ने पत्र में लिखा, ‘आरएसएस के बारे में सच्चाई जानने की छात्रों की सख्त जरूरत है। कई छात्र इस संगठन के खिलाफ आधारहीन बयान दे रहे हैं और गलत जानकारी फैला रहे हैं।’
मोहम्मद आमिर रशीद ने कहा कि शाखा का नाम राजा महेंद्र सिंह शाखा हो, इसके लिए प्रयास किया जाएगा। एएमयू में शाखा लगाने से ही एएमयू छात्रों को संघ के महत्व का पता चलेगा। यह एक बहुत अच्छी पहल है साथ ही एएमयू प्रशासन को शाखा लगाने की अनुमति देना भी अमन चैन बरकरार रखने व मिलजुल कर रहने जैसा ही कदम होगा। वहीं इसके उलट एएमयू के छात्रसंघ अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी ने कहा कि यह एक शैक्षणिक संस्थान है न कि राजनीतिक मंच। संघ की विचारधारा की कैंपस में कोई जरूरत नहीं है।