भारतीय रिजर्व बैंक ने बलैकमनी और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने के लिए एक अहम फैसला किया है। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति डिमांड ड्राफ्ट बनवाता है तो उस पर अब उसका भी नाम दर्ज होगा। अभी तक डिमांड ड्राफ्ट पर सिर्फ उसी व्यक्ति का नाम होता था, जिसके खाते में पैसा जाता था। नया नियम 15 सितंबर से लागू हो जाएगा। आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकिंग सिस्टम में और पारदर्शिता आने की उम्मीद है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दिया है। इसके अनुसार 15 सितंबर 2018 से जो भी डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर या बैंक चेक बनवाता है तो उस पर बनवाने वाले शख्स का नाम भी दर्ज होगा। ब्लैकमनी पर लगाम लगाने और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए आरबीआई ने ये कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, शहरी कोऑपरेटिव बैंकों, राज्य कोऑपरेटिव बैंकों, जिला केंद्रीय कोऑपरेटिव बैंकों, स्माल फाइनेंस बैंकों और पेमेंट्स बैंकों को इसे नियम को निर्धारित तारीख से अमल में लाने का निर्देश दिया है।
आरबीआई ने नो योर कस्टमर नॉर्म्स में भी संशोधन किया है। केवाईसी के मास्टर डायरेक्शन की धारा 66 में बदलाव किया गया है। इसमें जोड़ा गया है कि डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर, बैंकर्स चेक कराने पर दोनों पक्षों का नाम लिखा जाएगा। इससे पहले भी RBI ने मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम कसने के मकसद से कई फैसले लिए हैं। पहले ही आरबीआई ने 50,000 रुपये से अधिक के डिमांड ड्राफ्ट की राशि को कस्टमर के अकाउंट या फिर चेक के अगेंस्ट ही जारी करने का आदेश दिया था। कैश पेमेंट से डिमांड ड्राफ्ट बनाए जाने पर रोक लग चुकी है। हालांकि फिलहाल डीडी बनवाने वाले के नाम का जिक्र नहीं किया जाता है।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन