पीएनबी में हुए 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के बाद रिजर्व बैंक ने एक बड़ा कदम उठाते हुए फैसला लिया है। आरबीआई ने अब बैंक कंपनियों को गारंटीपत्र (लेटर ऑफ अंडरटेकिग) और आश्वस्ति पत्र (लेटर ऑफ कम्फर्ट) जारी करने की सुविधा पर रोक लगा दी है।

लेटर ऑफ क्रेडिट और बैंक गारंटी भी कुछ शर्तों के साथ ही दी जा सकेगी। ये फैसला नीरव मोदी और मेहुल चोकसी फ्रॉड से सबक लेते हुए किया गया है ताकि, ऐसे घोटालों पर रोक लगाई जा सकें। एलओयू और एलओसी का इस्तेमाल बैंक अपने ग्राहकों को गारंटी देने के लिए करते थे। इसका सबसे ज्यादा असर हीरा और ज्वैलरी का बड़े स्तर पर आयात करने वाले कारोबारियों पर पड़ेगा।

आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा, दिशानिर्देशों की समीक्षा के बाद आयात के लिए बैंकों द्वारा गारंटीपत्र जारी किये जाने की सुविधा पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। LOU और LOC की व्यवस्था खत्म किए जाने के बाद कारोबारियों को बैंक लेटर ऑफ क्रेडिट और गारंटी देते रह सकते हैं।  ये व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहेगी। ये व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक है। ये व्यवस्था क्रेडिट जारी करने वाले का पक्ष मजबूत करता है।

बताया जाता है कि लेटर ऑफ क्रेडिट ज्यादा सुरक्षित होता है क्यों‍कि‍ इस पर आयात की जानकारी, जारी करने की तारीख, एक्सपायरी डेट और जिस सामान को खरीदने के लिए ये लिया जा रहा है उसकी जानकारी भी होती है।

वहीं एलओयू के मामले में ऐसा नहीं होता है। इस वजह से इनमें गड़बड़ी का पता लगाना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

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