गुजरात उच्च न्यायालय ने अल्पसंख्यक समुदाय की लड़िकयों के साथ होने वाले रेप और अपहरण के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अल्पसंख्यक लड़की किसी लड़के के साथ भाग जाती है और बाद में अगर दोनों शादी कर लेते है तो ऐसे मामले में रेप केस नहीं लगेगा। न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि शरिया नियम के अनुसार 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी को भी मान्यता मिली हुई तो ऐसे केस में शादी को मान लिया जाएगा और रेप का केस भी नहीं लगेगा। इतना ही नहीं गुजरात उच्च न्यायालय ने अपहरण चार्ज से भी इनकार कर दिया है।
दरअसल यह मामला धोराजी का आरिफ अफवन का है जो छह साल पहले 16 वर्षीय फरीदा के साथ भाग गया था। फरीद के पिता ने लड़के के खिलाफ लड़की को बहला फुसलाकर भगाने के आरोप में एफआईआऱ दर्ज कराई थी। जिस पर आईपीसी की धारा 163 और 366 लगाई गई थी। हालांकि दोनों ने 2011 में विवाह कर लिया था। जिस काजी ने उन दोनों की शादी कराई थी उसने उनका मैरिज सर्टिफिकेट भी दिखाया। जब वे दोनों शांति से एक दूसरे के साथ रहने लगे तो अफवन ने अपने ऊपर लगे अपहरण के मामले को हटाने के लिए उच्च न्यायलय में अपील की थी। तब गुजरात उच्च न्यायलय ने सभी पक्षों को देखते हुए अफवन के खिलाफ लगे अपहरण के चार्ज को हटा दिया।
ऐसा ही एक मामला दिसंबर 2016 में शहर के एक सेशन कोर्ट का है जहां 21 वर्षीय मोम्मद जैद मंसूरी को उसके ऊपर लगे रेप के चार्ज से बरी कर दिया गया। जबकि उन दोनों से जन्मे बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने पर यह साबित हुआ कि उस बच्चे का पिता जैद ही है। इस मामले में 15 वर्षीय नाबालिग लड़की ने मंसूरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन बाद में उन दोनों की मैरिज सर्टिफिकेट ने मसूंरी को इस मामले से बचा लिया।
कोर्ट ने अब दोनों मामलों में यह दलील दी है कि मुस्लिम लड़की बालिग होने पर अपनी मर्जी से शादी कर सकती है। साथ ही शरिया कानून के मुताबिक भी मुस्लिम समुदाय की लड़की 15 साल की उम्र में परिपक्व हो जाती है और वो अपनी मर्जी से कहीं पर भी शादी कर सकती है।