पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को भारतीय राजनीति का ‘मौसम वैज्ञानिक’ कहा जाता है। आज उनकी जयंती है। 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने जाने वाले पासवान के नाम केंद्र की 7 सरकारों में मंत्री रहने का रिकॉर्ड रहा है। उन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवेगौड़ा,आईके गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी , मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के साथ काम किया।
पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया में हुआ था। एक दुसाध परिवार में जन्मे रामविलास ने कानून की पढ़ाई की और आगे चलकर पुलिस में डीएसपी की नौकरी पाई। हालांकि वे ज्यादा समय तक पुलिस की नौकरी नहीं कर सके और 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर बिहार विधानसभा का चुनाव जीत गए। रामविलास राजनारायण और जयप्रकाश नारायण के अनुयायी रहे। यही नहीं उन्हें कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा का भी करीबी माना जाता था।
इंदिरा गांधी सरकार के समय पासवान ने आपातकाल का सारा समय जेल में बिताया। फिर जब इमरजेंसी हटी तो पासवान 1977 के चुनाव में रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे। फिर जब जनता पार्टी में फूट पड़ी तो वे चौधरी चरण सिंह के साथ रहे। इसके बाद उन्होंने 1980 का लोकसभा चुनाव जीता।
1989 का साल रामविलास पासवान के लिए यादगार रहा क्योंकि इस साल जब वे लोकसभा चुनाव जीते तो केंद्र की सरकार में मंत्री बनाए गए। वीपी सिंह ने उन्हें श्रम और रोजगार मंत्री का पद दिया । 1991 में फिर से वे लोकसभा चुनाव जीते। 1996 में जब वे चुनाव जीते तो आगे चलकर लोकसभा में सरकार का नेतृ्त्व किया। वे देवेगौड़ा और गुजराल सरकार में मंत्री रहे।
1999 आते-आते वे बीजेपी के साथ हो लिए और पासवान को वाजपेयी सरकार में संचार मंत्री का पद मिला। इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री अटल ने कोयला मंत्री भी बनाया। साल 2000 में रामविलास पासवान ने खुद की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की। जिसका चुनाव चिन्ह बंगला है।
2004 आते-आते रामविलास ने फिर से राजनीति के मौसम का सही अनुमान लगाया और वे यूपीए में जा मिले। इस तरह उन्हें मनमोहन सरकार में कैमिकल फर्टिलाइजर और स्टील मंत्रालय मिला, जो कि साल 2009 तक उनके पास रहा।
2014 में रामविलास मोदी लहर में शामिल हो गए और एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन चुनाव जीते और मोदी सरकार में उपभोक्ता और खाद्य मामलों के मंत्री बनाए गए। 2019 में फिर से मोदी प्रधानमंत्री बने तो यह मंत्रालय रामविलास पासवान के पास ही रहा।
8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान का निधन हुआ। साल 2021 में सरकार ने उन्हें मरणोपरांत पद्मभूषण से सम्मानित किया।