Rampur Jail: रामपुर जेल के कैदी अब जेल की सलाखों के पीछे रहकर भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। जेल प्रशासन की पहल पर पहले उन्होंने एलईडी बल्ब बनाने का काम सीखा। अब उन्हें कूड़े-करकट से जैविक खाद बनाने का तरीका सिखाया जा रहा है।
रामपुर की जेल में रोजाना बड़ी तादाद में कूड़ा करकट और अन्य वेस्ट मैटीरियल प्रतिदिन इकट्ठा होता है। जेल अधीक्षक प्रशांत कुमार मौर्य इंजीनियरिंग के छात्र भी रह चुके हैं। उन्होंने इस कूड़े- करकट को एक नया रूप देने और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए जैविक खाद बनाने की योजना पर काम किया।

Rampur Jail: बायोगैस की तर्ज पर बनाई जा रही खाद
जेल परिसर के अंदर बंदियों और कैदियों की मदद से कूड़ा- करकट एक निश्चित स्थान पर एकत्र किया गया।इसके बाद बायोगैस की तर्ज पर ही यहां भी खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस खाद का इस्तेमाल जेल परिसर के अंदर और बाहर लगे पेड़, पौधों पर किया जाता है।इसके अलावा जिला प्रशासन की ओर से कई अन्य स्थानों पर भी इसे भेजा जा रहा है।

Rampur Jail: केचुंओं के माध्यम से बना रहे जैविक खाद
जैविक खाद बनाने में हमेशा से अव्वल रहे केचुंओं का योगदान भी अहम है। परिसर के अंदर ही बनाए गए केंद्र में इन्हें एकत्रित कर रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से खाद तैयार की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार द्वारा जगह जगह कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को हुनर सिखाया जा रहा है। ये भी एक अच्छी पहल है। जेल अधीक्षक प्रशांत कुमार मौर्य का कहना है, कि इसे सिखाने का मकसद कैदियों और बंदियों
को अपराध की बजाय हुनर की दुनिया में लाना है, ताकि वे एक अच्छे और सभ्य नागरिक बन सकें। भविष्य में अपना बेहतर जीवनयापन कर सकें।
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