मणिपुर में पुलिस नेतृत्व में बड़ा फेरबदल किया गया है और राज्य के डीजीपी बदल दिए गए हैं। दरअसल राज्य में चल रही हिंसा में अब तक कम से कम 80 लोगों की जान जा चुकी है।
राजीव सिंह के बारे में…
अब त्रिपुरा कैडर के एक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजीव सिंह को राज्य का नया डीजीपी नियुक्त किया गया है। राजीव सिंह, जो पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक थे, को 29 मई को केंद्र से मणिपुर में एक अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। वहीं वर्तमान डीजीपी, पी डौंगेल को गृह विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा गैर-आदिवासी, गैर-मेइती डीजीपी को लाना विवाद से बचने के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
मालूम हो कि 3 मई को राज्य में हिंसा भड़कने के तुरंत बाद, केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह को मणिपुर सरकार का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था।
यह बदलाव केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की झड़पों की न्यायिक जांच की घोषणा और मौजूदा संकट को हल करने के लिए एक शांति समिति की स्थापना के बाद आया है।
मणिपुर पहुंचे अमित शाह ने क्या कहा…
एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए आज अमित शाह ने हिंसा को समाप्त करने के रास्ते के रूप में संवाद पर जोर दिया।
शाह ने कहा, “उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच की जल्द ही घोषणा की जाएगी।” उन्होंने कहा कि शांति समिति मणिपुर के राज्यपाल अनुसुइया उइके के अधीन होगी। इसमें सभी राजनीतिक दलों, कुकी और मैतेई दोनों समुदायों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
गृह मंत्री ने मणिपुर में हिंसा के पीछे साजिशों की सीबीआई जांच की योजना का भी खुलासा किया। उन्होंने स्थिति के जल्द ही सामान्य होने के बारे में आशा व्यक्त की।
मणिपुर में क्यों भड़क गई हिंसा …
बता दें कि मणिपुर के बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी।
इससे पहले भी आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव पैदा हो गया था।