खाद्य तेलों (Edible Oils) की कीमतों में लगातार वृद्धि के बाद केंद्र ने अगले साल मार्च के अंत तक खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक की सीमा लगा दी है। केंद्र के फैसले से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी आएगी, जिससे देश भर के उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
आज एक बयान में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) ने कहा कि खाद्य तेलों और तिलहनों पर 31 मार्च, 2022 तक की अवधि के लिए स्टॉक लगाई है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब खाद्य तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सरसों के तेल का देश में खुदरा मूल्य शुक्रवार को 184.15 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया, जिसमें मुंबई और लखनऊ सहित कई राज्यों में तेल की कीमत 200 रुपये से अधिक पहुंच गया।
कई राज्यों में बढ़ें दाम
सरसों का तेल छह राज्यों में सबसे महंगा है। मूंगफली का तेल 182.61 रुपये प्रति किलोग्राम, वनस्पति तेल 136.59 रुपये प्रति किलोग्राम, सोया तेल 155 रुपये प्रति किलोग्राम, सूरजमुखी का तेल 169.53 रुपये प्रति किलोग्राम और ताड़ का तेल 132.91 रुपये प्रति किलोग्राम है। मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की ऊंची कीमतों का घरेलू कीमतों पर ‘पर्याप्त प्रभाव’ पड़ा है। सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार की है कि खाद्य तेलों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित रहें।
खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को कम करने के लिए केंद्र ने आदेश जारी किया है, जिसे सभी राज्यों के साथ साझा किया गया है। इस आदेश के तहत सभी खाद्य तेलों और तिलहनों की स्टॉक सीमा संबंधित राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन द्वारा उपलब्ध स्टॉक और खपत पैटर्न के आधार पर तय की जाएगी।
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