President Election 2022: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक पारा सातवें आसमान पर चढ़ रहा है। राजनीतिक रस्साकशी के बीच एक सवाल है जिसका जवाव अभी तक नहीं मिला है कि आखिर इस बार विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार कौन होंगे? ऐसे में विपक्ष की ओर से उम्मीदवार के रूप में एक नाम जो सबसे पहले सामने आया है वो है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार का। मंगलवार, 14 जून को, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में अपने आवास पर दिग्गज नेता के साथ बातचीत भी की।
President Election 2022 के लिए रणनीति बनाने में जुटे विपक्षी नेता
इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की विपक्ष की पसंद पर विचार करने के लिए विभिन्न विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। बैठक आज (15 जून) नई दिल्ली में होगी और इसमें कांग्रेस और वाम दलों के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। वहीं कुछ नेताओं ने विपक्षी उम्मीदवार के रूप में राकांपा संरक्षक शरद पवार का नाम सुझाया था, लेकिन दिग्गज नेता ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। कोविंद ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था।

President Election 2022: क्या Sharad Pawar के पास समर्थन है?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले हफ्ते पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के संदेश के साथ शरद पवार से मुंबई में उनके आवास पर मुलाकात की। उन्होंने शनिवार को अन्य विपक्षी नेताओं से भी बात की। कांग्रेस के एक बयान में कहा गया, “कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शरद पवार, ममता बनर्जी और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं के साथ आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर चर्चा की थी।
पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को एक ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो संविधान, लोकतांत्रिक, संस्थानों और नागरिकों की रक्षा कर सके; एक नेता जो देश के “खंडित सामाजिक ताने-बाने” में “हीलिंग टच” जोड़ सकता है। कहा जा रहा है कि तृणमूल भी एक ऐसे राजनेता का समर्थन कर रही है जो विपक्षी दलों तक पहुंच सकता है, जो कभी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा नहीं रहे हैं और पवार उस भूमिका के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
वहीं एक नाम और है जिसके साथ विपक्ष जा सकता है
दरअसल, विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ना चाहता है, कुछ नेताओं ने संभावित विकल्प के रूप में पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के बारे में भी कहा है। 2017 के चुनावों में, गांधी को भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया था, लेकिन वे एम वेंकैया नायडू से हार गए थे। पीटीआई के अनुसार, कुछ विपक्षी नेताओं ने गोपालकृष्ण गांधी से फोन पर बात की और उनसे राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार होने के उनके अनुरोध पर विचार करने का आग्रह किया है।

महात्मा गांधी और सी राजगोपालाचारी के पोते हैं गोपालकृष्ण गांधी
बता दें कि 77 वर्षीय पूर्व नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी ने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी कार्य किया है। वह महात्मा गांधी और सी राजगोपालाचारी के पोते हैं। गांधी ने 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनसे बात करने वाले नेताओं ने कहा कि उनके अनुरोध पर उनकी प्रारंभिक प्रतिक्रिया “सकारात्मक” थी। यदि वह अनुरोध स्वीकार करते हैं, तो वह संभावित विपक्षी उम्मीदवार के रूप में उभर सकते हैं क्योंकि पिछले उप-राष्ट्रपति चुनाव में उनके नाम पर पहले से ही आम सहमति थी। गांधी के अलावा, कुछ अन्य नामों पर भी विपक्ष विचार कर रहा है और उनकी सहमति लेने के लिए उनसे संपर्क किया गया है।
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