President Election 2022: चुनाव आयोग ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव कार्यक्रम का आज दोपहर 3 बजे विज्ञान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एलान कर दिया। 18 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होगा और 21 जुलाई को परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

President Election 2022: चुनाव आयोग ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव शेड्यूल जारी कर दिया। 18 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होगा। इसके लिए 15 जून से अधिसूचना लागू होगी और 29 जून तक नामांकन करने की तारीख रहेगी। 30 जून तक इनकी स्क्रूटनी होगी और उम्मीदवार 2 जुलाई तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे। 21 जुलाई को परिणाम जारी होगा।
चुनाव आयोग ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद जाहिर करनी होगी। यदि वोट देने वाले सांसद और विधायक ने पहली पसंद नहीं दी तो फिर वोट को रद्द माना जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4,809 वोट होंगे।चुनाव आयोग ने आगे कहा कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और नए राष्ट्रपति को 25 जुलाई तक शपथ लेनी है।
2017 में 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद का चुनाव हुआ था, जिसमें रामनाथ कोविंद को चुना गया था। तब एनडीए के कैंडिडेट रहे रामनाथ कोविंद को करीब 65 फीसदी मत हासिल हुए थे।

आज मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद जाहिर करनी होगी। यदि वोट देने वाले सांसद और विधायक ने पहली पसंद नहीं दी तो फिर वोट को रद्द माना जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4,809 वोट होंगे। कुल वोटों का मूल्य 10 लाख 98 हजार 803 होगा।
इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मतदान करेंगे। इसके अलावा विधानसभाओं के सदस्य भी मतदान कर सकेंगे। मतदान में लोकसभा एवं राज्यसभा के 776 सांसद और 4,120 विधायक हिस्सा लेंगे।
President Election 2022: कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।

25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं नए राष्ट्रपति?
हर पांच साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिलता है। ये सिलसिला 1977 से चल रहा है। जब उस वक्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया। राष्ट्रपति के निधन के बाद उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति बने। इसके बाद से ही हर पांच साल पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति चुने जाते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स होंगे?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 12 मनोनीत सांसद इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। इसके साथ ही लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे।
इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 120 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 896 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी।

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।
बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।
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