डॉ.भीमराव अंबेडकर दलित समुदाय के क्या हुए वो इस समय दलित वोट बैंक बन गए हैं। जिसे देखो डॉ.भीमराव अंबेडकर को अपनाने में लगा है। उन्हें अपना माई, बाप, भाई, काका सब बनाने में लगा है। राजनीतिक पार्टियां सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी महापुरूषों को अपने पाले में करना चाहती हैं। चाहे वो गांधी हो या अंबेडकर। गांधी और अंबेडकर भले ही सिर्फ दो साधारण आदमियों के नाम हैं जिन्होंने हमेशा से ही एक साधारण जीवन जिया और कई महान कार्यों को अंजाम दिया। अब सभी राजनीतिक पार्टियां उनको कार्यों को अपना बनाना चाहती हैं। उनके नाम, पहचान और उपदेशों को अपनी पार्टी का नाम देना चाहती हैं। देश की राजनीति में ऐसा लगने लगा कि डॉ.भीमराव अंबेडकर भी पार्टियों के बीच बंट गए हैं। कोई उन्हें भगवा परिधान पहनाता है तो कोई उन्हें नीला परिधान पहनाता है और कुछ ऐसे लोग भी हैं जो उनकी प्रतिमा को ही तोड़ने का काम कर रहे हैं। ऐसे में आज गांधी और अंबेडकर महापुरुष नहीं एक ब्रांड बन गए हैं।
इस ब्रांड में पॉवर है। एक ऐसा पॉवर जो किसी भी राजनीतिक पार्टी को सत्ता की कुर्सी दिला सकता है। इसी का नतीजा है कि अब एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार अध्यादेश ला सकती है। खबरों के मुताबिक, विपक्ष का हमला झेल रही मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के लिए अध्यादेश ला सकती है। वैसे भी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा भी है कि केंद्र सरकार को दलितों से हमदर्दी है तो उसे एससी-एसटी ऐक्ट पर अध्यादेश लाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं मोदी जी से कहना चाहती हूं कि अगर आपकी नीयत साफ है तो आपको कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बजाय एससी-एसटी ऐक्ट को प्रभावी बनाने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाकर अध्यादेश जारी करना चाहिए। सरकार ने इस ऐक्ट को प्रभावी बनाने के लिए अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अध्यादेश जारी कर दिया होता तो दलितों को भारत बंद नहीं करना पड़ता।’
इसके बाद बीजेपी के कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान ने भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो एससी-एसटी ऐक्ट को मजबूत करने के लिए सरकार अध्यादेश ला सकती है। वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट से मदद नहीं मिलती है तो अध्यादेश लाकर एससी-एसटी एक्ट को नरेंद्र मोदी सरकार बहाल करेगी। ऐसे में यह संकेत मिलना शुरू हो गया है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी एससी/एसटी एक्ट पर किसी न किसी नतीजे पर जल्द ही पहुंचेगी।
वहीं दूसरी तरफ शनिवार को पूरा देश संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर की 127वीं जयंती मना रहा है। चुनाव में दलित वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत करने के लिए सभी दल आंबेडकर जयंती के जरिए खुद को दलितों का मसीहा बताने में लगे हैं। एससी-एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद में दलित संगठनों ने जिस तरह विरोध-प्रदर्शन किया उसके बाद से सभी पार्टियां इस आबादी को अपनी तरफ लुभाने के लिए लगी हुई है। इसके अलावा कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बाबा अंबेडकर की मूर्तियां तोड़ने में लगे हैं। इस तरह की घटनाएं हाल में 3-4 बार हो चुके हैं। हाल ये है कि आज के दिन बाबा के मूर्तियों के सामने पुलिस को पहरा देना पड़ रहा है। वहीं पीएम मोदी ने देश को अंबेडकर नेशनल मेमोरियल सौंपा और कहा कि बीजेपी हमेशा दलितों के साथ खड़ी है।