गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौतों के पीछे का सच सामने आता जा रहा है। लेकिन ये सच कितना सच है, ये तो आने वाले सचिव द्वारा की जा रही जांच की रिपोर्ट ही बता पाएगी। हालांकि इस पूरे मामले में कई प्रश्नों के उत्तर अभी नहीं मिल पाएं हैं। डीएम की जांच रिपोर्ट में दो चिकित्सकों का नाम और आया है। इनमें से एक एनेस्थेसिया विभाग के हेड डॉक्टर सतीश कुमार हैं। इनको दोषी इसलिए माना गया है कि ऑक्सीजन सप्लाई के वक्त डॉक्टर सतीश मुबंई चले गए थे। वहीं दूसरे कॉलेज के ही प्रिसिंपल डॉ राजीव मिश्रा है जिनको सरकार ने निलंबित भी कर दिया है। कहा गया है कि इन्हीं के लापरवाही के कारण ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को पेमेंट देने में देरी हुई। वहीं दूसरी तरफ ऑक्सीजन सप्लाई कंपनी पुष्पा सेल्स को भी दोषी ठहराया गया है क्योंकि कंपनी ने ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी थी। इन्हीं के साथ कई कर्मचारियों को भी दोषी बनाया गया है।

डीएम की रिपोर्ट के मुताबिक अभी इस घटना की जांच बड़े स्तर पर होनी चाहिए । वहीं योगी सरकार अभी भी यह मानने को तैयार नहीं कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई है। रिपोर्ट में डॉ कफील खान की भूमिका सिर्फ इतनी बताई गई है कि उनका कॉलेज के प्रिसिंपल और अन्य डॉक्टरों के साथ तालमेल ठीक नहीं था।

हालांकि रिपोर्ट ने दूसरे किसी बड़े जांच को करवाने को बोला है। इसी के साथ बीआरडी कॉलेज का वर्तमान हालत अभी भी नहीं सुधरा है और बच्चों की मौत का क्रम जारी है।

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