सरकार ने हिन्द महासागर में भारतीय नौसेना का प्रभुत्व बनाये रखने के लिए उसके बेड़े में 56 युद्धपोत और छह पनडुब्बी शामिल करने का महत्वाकांक्षी निर्णय लिया है साथ ही दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत को लेकर भी बातचीत ठोस रूप ले रही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को यहां आयोजित वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नौसेना रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है।

सरकार ने देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नौसेना के बेड़े के लिए 56 समु्द्री पोतों और छह पनडुब्बी की मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि ये युद्धपोत और पनडुब्बी लगभग एक दशक के समय में नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिये जायेंगे। इनमें से कुछ युद्धपोत पुराने युद्धपोतों की जगह लेंगे तो कुछ नौसेना के बेड़े का विस्तार कर उसे मजबूत बनायेंगे।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा देश के विभिन्न शिपयार्डों में अभी 32 समुद्री पोत और पनडुब्बी बनायी जा रही हैं। इनमें विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, पी-15 बी श्रेणी के विध्वंसक, पी 17 ए श्रेणी के स्टेल्थ फ्रिगेट, समुद्री गश्त पोत और पनडुब्बी शामिल हैं। देश में ही बनाया जा रहा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत निर्माण के तीसरे और अंतिम चरण में है। इसके समुद्री परीक्षण 2020 के मध्य में शुरू होने की संभावना है। इससे नौसेना की समु्द्री शक्ति तथा हवाई मारक क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि नौसेना के लिए दूसरे विमानवाहक पोत को लेकर भी बात ठोस तरीके से आगे बढ रही है। नौसेना के पास तीन विमानवाहक पोत होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह आदर्श स्थिति है जिसमें दो विमानवाहक एक साथ ऑपरेशनों के लिए उपलब्ध रह सकेंगे।

उन्होंने कहा कि मंबई हमले के मद्देनजर तटीय सुरक्षा को चाक चौबंद किया जा रहा है और देश की सभी लगभग लाख नौकाओं को स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) से जोड़ने के लिए पायलट प्रोजेक्ट तमिलनाडु, गुजरात और पुड्डुचेरी में सफल रहा है। इसे अब सभी नौकाओं में लगाया जायेगा। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में कामयाबी का लौहा मनवा रही महिलाओं की नौसेना में बढ़ती भूमिका के मद्देनजर अभी बनाये जा रहे सभी समुद्री पोतों तथा युद्धपोतों में महिलाओं की जरूरतों को देखते हुए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में बनाये जाने वाले प्रशिक्षु युद्धपोतों में भी महिलाओं की जरूरतों से संबंधी सुविधाएं बनाये जायेंगी।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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