Navjot Singh Sidhu: पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने आज पटियाला कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया। बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने 34 साल पुराने रोडरेज केस में सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी। दरअसल, ये मामला साल 1988 का है,जब पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ था जिसमें 65 साल के शख्स की मौत हो गई थी। मृतक के परिवार वालों की ओर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। जिसके बाद कोर्ट (Court) ने अपना फैसला बदलकर उन्हें एक साल की सजा सुनाई है।
वहीं फैसाला आने के बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर करने के लिए कुछ समय मांगी थी। सिद्धू ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट से समय मांगा है। रोड रेज का मामला 1988 का है जिस पर SC ने अब फैसला सुनाते हुए सिद्धू को दोषी करार दिया है। सिद्धू के वकील ने कोर्ट में आवेदन देते हुए सरेंडर के लिए 1 हफ्तें का समय मांगा है। जानकारी के अनुसार, सिद्धू की जल्द से जल्द सुनवाई की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

Navjot Singh Sidhu: आखिर क्या था रोड रेज मामला
27 दिसंबर 1988 को सिद्धू शाम को अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे। मार्केट में पार्किंग को लेकर सिद्धू की 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह के साथ बहस हो गई थी। मामला इतना बढ़ा कि बात हाथापाई पर आ गई और सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले से पीड़ित पक्ष संतुष्ट नहीं था जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को 15 मई 2018 को दरकिनार कर दिया था जिसमें रोडरेज के मामले में सिद्धू को गैरइरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी माना था लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं दी थी और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम एक साल जेल की सजा या 1000 रुपये जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।
Navjot Singh Sidhu: अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई में क्या कहा?
साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाथ भी अपने आप में हथियार है। कोई बॉक्सर, पहलवान, क्रिकेटर और बेहद तंदुरूस्त व्यक्ति अपने हाथ का इस्तेमाल मुक्का मारने के लिए करता है तो उसे 1000 हजार जुर्माना लगाकर ही नहीं छोड़ना चाहिए। लेकिन सुनवाई कर रही पीठ ने पीड़ित पक्ष के वकील सिद्धार्थ लूथरा की सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के तहत दोषी ठहराने वाली दलील को खारिज कर दिया।

पीठ ने सिद्धू को धारा-323 (गंभीर चोट पहुंचाने) का ही दोषी माना और इस अपराध के तहत दी जाने वाली अधिकतम एक वर्ष कैद की सजा सुनाई।
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