Morbi Bridge ढहने के बाद पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है। इस घटना में अब तक 135 लोगों के शव बरामद कर लिये गये हैं और सर्च ऑपरेशन अब भी जारी है। अब तक की जांच में पुल में एक-दो नहीं बल्कि कई खामियां पाई गई हैं। बताया जा रहा है कि कंपनी ने मरम्मत के नाम पर काफी चूक की है जिसके कारण कई लोगों की जान चली गई। साथ ही पुल के नवीनीकरण के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया है उस पर भी कई सवाल खड़े किए गए हैं।

कई कारणों से भरभरा कर गिरा Morbi Bridge
Morbi Bridge हादसे के बाद से ही इस पूरी घटना की बारीकी से जांच की जा रही है। जांच के दौरान पुल की कई बड़ी खामियां सामने आ रही हैं। पता चला है कि मरम्मत के नाम पर कंपनी ने सिर्फ पुल और केबल्स को पेंट और पॉलिश किया है। साथ ही कंपनी इस 143 साल पुरानी संरचना का संरचनात्मक ऑडिट करने में विफल रही। पुल पर काफी सामग्री का इस्तेमाल कर लिया गया था जिसके कारण पुल काफी भारी हो गया था। इमरजेंसी से निपटने के लिए किसी तरह के कोई इंतजाम भी नहीं किए गए थे।
बिना किसी सर्वे के खोला गया पुल
प्राथमिक निरीक्षण के आधार पर, तकनीकी टीम का विचार था कि उस क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले किसी व्यक्ति की ओर से न तो नवीनीकरण किया गया था और न ही मूल्यांकन किया गया था। अधिकारी ने बताया कि यह काम स्पष्ट रूप से स्थानीय विक्रेताओं और उप-ठेकेदारों ने बिना किसी विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के ही किया। साथ ही इस बात की जांच की जा रही है कि इसकी अनुमति दी गई थी या नहीं? टीम ने पाया कि पुल के ढहने की प्रारंभिक प्रतिक्रिया और निकासी को कैसे संभाला गया, यह संकेत देता है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं थी।

हाल ही में कराया गया रंग-रोगन
Morbi Bridge मामले की प्राथमिक जांच करने के बाद अधिकारियों का कहना है कि 26 अक्टूबर को पूरे पुल को त्योहार के कारण जल्दी में खोलने का फैसला किया गया था जिसके लिए सभी केबलों को सिर्फ पेंट-पॉलिश कर के खोल दिया गया। इस बात की जांच अभी भी की जा रही है कि किसी भी केबल को बदला गया है या नहीं?
बिना सर्टिफिकेट लिया गया फैसला
सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार को मरम्मत करने का काम पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया था। लेकिन कंपनी ने अपना फायदा देखते हुए बिना किसी फिटनेस सर्टिफिकेट के ही इस पुल को लोगों के लिए खोल दिया। साथ ही बताया गया है कि उस क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले किसी व्यक्ति की ओर से नवीनीकरण न तो किया गया था और न ही मूल्यांकन किया गया था। जांच टीम का कहना है कि पुल के ढहने की प्रारंभिक प्रतिक्रिया और निकासी को कैसे संभाला गया, यह संकेत देता है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं थी।

मरम्मत के लिए इस्तेमाल की गई भारी सामग्री
इंजीनियरों की एक टीम इस बात की जांच कर रही है कि क्या पुल की मरम्मत के लिए बाद में ज्यादा और भारी सामग्री का प्रयोग किया गया है। क्या मरम्मत की सामग्री की वजह से पुल का वजन बढ़ा और वह हादसे का शिकार हुआ?
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