केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को बैंकों की आलोचना करते हुए कहा कि वे 2 लाख करोड़ रुपये के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को फाइनैंस नहीं कर रहे हैं। जबकि यह उनके लिए सुनहरा मौका है। गडकरी ने आरोप लगाया कि रिजर्व बैंक इसमें अतिरिक्त जटिलता जोड़ रहा है। उन्होंने ईटी अवॉर्ड फॉर कॉर्पोरेट एक्सलेंस में कहा, ‘हमारे पास कम से कम 150 परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत 2 लाख करोड़ रुपये है। लेकिन निवेशकों के लिए बैंकों से कर्ज लेना कठिन हो गया है।’
मंत्री ने फंडिंग की इस समस्या को आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक से एक दिन पहले उठाया है, जो कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ केंद्रीय बैंक की तनातनी के बीच हो रही है। इन मुद्दों में लिक्विडिटी की कमी, कर्ज के विस्तार जैसे मुद्दे पर मतभेद प्रमुख हैं।
मंत्री ने कहा, ‘जहां तक विकास दर का सवाल है, रिजर्व बैंक के लिए देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को सपॉर्ट करने का यह सही वक्त है। लेकिन कई बार आरबीआई के सर्कुलर जटिलता को और बढ़ाते हैं।’ गडकरी ने कहा कि जब उन्होंने अपने मंत्रालय का पदभार संभाला था तो कुल 403 परियोजनाओं की कुल लागत 3.85 लाख करोड़ रुपये थी और उनका ट्रैक रेकॉर्ड अच्छा रहा है। इससे अकेले उन्होंने भारतीय बैंकों के 3 लाख करोड़ रुपयए बचाए हैं, नहीं तो वे फंस जाते और बैंक को उन्हें एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) घोषित करना पड़ता। यह पूछे जाने पर कि क्या वह यह मामला आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल के समक्ष उठाएंगे? गडकरी ने कहा कि यह उनका काम नहीं है और बुरे अनुभव के लिए वह उनसे मिलना नहीं चाहते।
उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा है। इसलिए उनसे मिलने का कोई मतलब नहीं है। किसी को किसी से तभी मिलना चाहिए, जब उससे कोई लाभ हो या कोई काम हो जाए।’ कुछ दिनों से सरकार और आरबीआई के बीच टकराव की खबरें आ रही थीं। हाल ही में रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता में हस्तक्षेप को विनाशकारी बताया था। विवाद बढ़ने पर आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल को सरकार द्वारा हटाने की बात भी कही जा रही थी। हालांकि, पटेल अब तक अपने पद पर बने हुए हैं।