‘बिटक्वाइन’ एक ऐसी वर्चुअल करेंसी जिसके पीछे आजकल हर कोई भाग रहा है। लेकिन अब उन लोगों के पीछे इऩकम टैक्स विभाग भाग रहा है और ऐसे में उन लोगों के लिए परेशानी बढ़ गई है जिन्होंने बिटक्वाइन में अपने हाथ आजमाए थे। जी हां, देश में बिटक्वाइन की खरीद-फरोख्त करवाने वाली कंपनियों पर इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा है। छापा पड़ने के बाद कंपनी की वेबसाइट बंद होने से इससे जुड़े गाजियाबाद समेत दिल्ली-एनसीआर और पूरे यूपी के हजारों अकाउंट ब्लॉक हो गए हैं। ऐसे में बिटकॉइन खरीद चुके लोगों का डिजिटल वॉलेट भी ब्लॉक हो गया है। ऐसे में जिन लोगों ने बिटक्वाइन में अपना पैसा फंसाया है, उऩ लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है। खबरों के मुताबिक, लोगों के करोड़ो रुपए इसमें फंसे हैं।
एक तरफ जहां पूरे विश्व में बिटक्वाइन अपने पैर तेजी से पसार रहा है वहीं दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे दूरी बनाने के लिए आगाह किया है। लेकिन उसके बावजूद लोग इसमें अपना पैसा फंसा रहे हैं। दिल्ली स्थित आर्थिक अपराध शाखा में दिल्ली के 15 लोगों ने इस संबंध में शिकायत भी दर्ज करवाई है। आरोप है कि हैदराबाद की वेबसाइट 15 दिन से ब्लॉक है। कंपनी संचालक ने 24 घंटे में सब ठीक होने की बात कही है। दो साल पहले एक बिटक्वाइऩ महज 7 हजार रुपये का था। नोटबंदी के बाद इसकी कीमत अचानक 36-45 हजार रुपये हो गई। इस साल सितंबर में इसकी कीमत 5 लाख, अक्टूबर में साढ़े नौ लाख और नवंबर में 14 लाख रुपये हो गई।
बता दें कि भारत में बिटक्वाइन लीगल नहीं है। कुछ दिनों पहले
वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन ने 12000 डॉलर का रिकॉर्ड हाई छुआ था। इस वर्चुअल करेंसी में यह तेजी अमेरिकी डेरिवेटिव्स के नियामक की घोषणा के बाद देखने को मिली है। इसी के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर जनता को बिटकॉइन के जोखिमों के प्रति चेताया है। बता दें कि वर्चुअल करेंसी बिटक्वाइन के नई ऊंचाई पर पहुंचने से इसको लेकर निवेशकों का आकर्षण बढ़ रहा है।
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क्रिप्टोकरेंसी को ई-मुद्रा भी कह सकते हैं। अर्थात् इस करेंसी का इस्तेमाल कम्प्यूटर द्वारा आदान-प्रदान में होगा। इस करेंसी का जो मूलतः रूप होता है, उसे बिटक्वाइन कहा जाता है। जैसे अमेरिका में करेंसी डॉलर चलती है, भारत में रूपया चलती है, ठीक उसी प्रकार इस करेंसी का आदान-प्रदान ‘बिटक्वाइन’ में होता है। अभी सिर्फ बिटक्वॉइन ही है जिसको मानक बनाकर लोग इसका इस्तेमाल डिजिटली पैमेंट के लिए कर रहे हैं। इसके इस्तेमाल और भुगतान के लिये क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है।