सरकार ने किसानों के लिए नई योजना शुरू की है जिसका नाम है एक राष्ट्र एक एमएसपी एक डीबीटी। जैसा कि नाम से साफ है कि अब पूरे देश में उपज का एक ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होगा और इस पर सरकार जो खरीद करेगी उसका पैसा किसानों के हाथ में नहीं बल्कि सीधा बैंक खाते में जाएगा।
पंजाब सहित कुल 11 राज्यों में यह स्कीम लागू हो गई है और अब डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) के जरिये उपज का पैसा दिया जा रहा है। ऐसा होने से बिचौलियों या आढ़तियों का रोल लगभग खत्म हो गया है जिन्हें कमीशन एजेंट भी कहा जाता है।
यह स्कीम पंजाब में सबसे ज्यादा चर्चा में रही क्योंकि आढ़तिये हड़ताल पर थे और सरकार भी उनके ‘मन की बात’ कर रही थी। डीबीटी का एक तरह से सरकार की तरफ से भी विरोध किया गया। इसमें कुछ बदलाव की मांग की गई लेकिन केंद्र सरकार आगे बढ़ गई और अंतत: आढ़तियों की हड़ताल टूट गई है।
अब 10 अप्रैल से पंजाब में डीबीटी के तहत गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है। केंद्र ने पहले ही साफ कर दिया था कि अब उपज का पैसा आढ़तिये या कमीशन एजेंट के मार्फत किसानों तक नहीं पहुंचेगा बल्कि सीधा खाते में डाला जाएगा।
इसके अलावा 18 अप्रैल तक सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों से 44 लाख टन से ज्यादा गेंहू एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीदा गया। सरकार का अनुमान है कि, इस बार 80 लाख टन से ज्यादा गेंहू की खरीद होगी। रबी सीजन की फसल खरीद के इन दिनों सरकार गेंहू के अलावा जौ की फसल भी एमएसपी पर खरीद रही है।
जनसंपर्क एवं सूचना विभाग द्वारा बताया गया कि, प्रदेश सरकार कुल 10 फसलों को एमएसपी पर खरीदेगी। एक अधिकारी के मुताबिक, हरियाणा में 1 अप्रैल, 2021 से 396 मंडी / खरीद केन्द्रों पर आरंभ रबी खरीद सीजऩ के दौरान 18 अप्रैल तक कुल 50.71 लाख टन गेहूँ की आमद मंडियों में हो चुकी है, जिसमें से कुल 44.96 लाख टन गेहूँ की खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है। अब तक 1,62,918 किसानों के 5,00,236 जे – फॉर्म बनाए जा चुके हैं, जिसमें से 17 अप्रैल, 2021 तक 1214.94 करोड़ रुपये की अदायगी सीधे किसानों के खातों में की जा चुकी है।










