प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो के जरिए 46वीं बार देश से “मन की बात” की। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने महापुरुष लोकमान्य तिलक, चंद्रशेखर आजाद, महाकवि गोपालदास नीरज समेत कई पर बातचीत की। उन्होंने इस कार्यक्रम में लोगों से इको फ्रेंडली गणेशोत्सव मनाने का आग्रह किया।
पीएम मोदी ने कहा कि हम सबका दायित्व बनता है कि हम प्रकृति प्रेमी बने, प्रकृति के रक्षक बने, प्रकृति के संवर्द्धक बने, तो प्रकृति प्रदत्त चीजों में अपने आप संतुलन बना रहता है।गरीब परिवारों से विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कितने ही छात्रों ने अपनी मेहनत और लगन से कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो हम सबको प्रेरणा देता। अगस्त महीना इतिहास की अनेक घटनाएं, उत्सवों की भरमार से भरा रहता है। मैं आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य के लिए, देशभक्ति की प्रेरणा जगाने वाले, अगस्त महीने के लिए और अनेक उत्सवों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
#MannKiBaat: पीएम मोदी ने गोपालदास नीरज को याद करते हुए कहा कि पिछले दिनों नीरज जी हमें छोड़ कर चले गए। नीरज जी के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए#gopaldasneeraj #NarendraModi pic.twitter.com/BqxEUlbUQN
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) July 29, 2018
उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में महाकवि गोपाल दास नीरज को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, नीरज जी की एक विशेषता रही थी, आशा, भरोसा, दृढसंकल्प, स्वयं पर विश्वास हर बात प्रेरणा दे सकती है। हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
स्मार्टगांव एप के बारे में बात करते हुए कहा कि यह एप न केवल गांव के लोगों को पूरी दुनिया से जोड़ रही है बल्कि अब वे कोई भी जानकारी और सूचना स्वयं खुद के मोबाइल पर ही प्राप्त कर सकते हैं। वहीं घर छोड़कर पहली बार बाहर कॉलेज पढ़ने के छात्र-छात्राओं से पीएम ने कहा कि जो युवा अपने घर को छोड़कर बाहर पढ़ने गए हैं, वे वहां के बारे में जानें। वहां के पर्यटन स्थलों को जानना चाहिए। कॉलेज शुरू कर रहे युवाओं को पीएम मोदी ने शुभकामनाएं दीं।
#MannKiBaat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो द्वारा कर रहे 'मन की बात'। पीएम मोदी ने थाईलैंड में फंसे बच्चों की बात की, कहा- गुफा में बच्चों ने मौत का सामना किया#PMOIndia pic.twitter.com/FyAasdjbQE
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मोदी ने कहा कि पिछले दिनों थाईलैंड में 11 खिलाड़ी और एक कोच गुफा में घूमने गए थे। इसी दौरान भारी बारिश के कारण वे गुफा में 18 दिन तक फंसे रहे। दुनियाभर के लोग उनके लिए प्रार्थना कर रहे थे। हर कोई सोच रहा था कि बच्चे कहां हैं। हर स्तर पर जिम्मेदारी का एक एहसास था और वह अद्भुत था।
महापुरुष लोकमान्य तिलक के बारे में कहा कि अंग्रेज लोकमान्य तिलक से काफी डरे हुए थे। अक्टूबर 1916 में लोकमान्य तिलक जब अहमदाबाद आए थे तो तकरीबन 40 हजार लोगों ने उनका स्वागत किया था। तिलक के निधन के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने लोकमान्य तिलक के स्मारक के लिए विक्टोरिया गार्डन को चुनाव। अंग्रेज इस निर्णय से सहमत नहीं थे। लेकिन सरदार पटेल ने स्मारक लगवाई और महात्मा गांधी से इसका उद्घाटन कराया। इस प्रतिमा में तिलक एक कुर्सी पर बैठे हुए हैं और उनकी कुर्सी पर लिखा है कि स्वराज हमारा अधिकार है।