Manipur Violence: मणिपुर में बीते डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त से जारी हिंसा में भीड़ के हिंसक उपद्रव करने की ताजा घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजकीय दौरे के हफ्तों बाद हिंसा की ताजा घटना में बिशुपुर के क्वाकटा कस्बे और चुराचांदपुर के कंगवई गांव में स्वचालित हथियारों से 400-500 राउंड फायरिंग की गई। इंफाल में सेना, असम राइफल्स और मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स ने उपद्रवियों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए आधी रात तक संयुक्त मार्च निकाला। सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम इंफाल के एक पुलिस थाने से भीड़ ने हथियार लूटने की भी कोशिश की जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया।
बता दें कि एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी मणिपुर में हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं। हथियारबंद उपद्रवियों की सुरक्षाबलों के साथ झड़पों की कई खबरें अबतक सामने आ चुकी हैं। इस मामले को लेकर अब कांग्रेस ने केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विदेश यात्रा पर रवाना होने से पूर्व सूबे की 10 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को मुलाकात का समय देने का आग्रह किया है।

Manipur Violence: मणिपुर की 10 समान विचारधारा वाले दलों ने PMO को लिखी चिट्ठी
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर की 10 समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा, “इन नेताओं ने 10 जून को ई-मेल भेजकर और 12 जून को पत्र पीएमओ को सौंप प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय मांगा है। उन्होंने कहा कि उम्मीद करते हैं कि अमेरिका-मिस्त्र की यात्रा पर रवाना होने से पहले पीएम इनकी बात सुनने के लिए वक्त देंगे।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विपक्ष ने मणिपुर में जातीय हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी से एक सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए भी कहा है।
कांग्रेस ने किया 2001 के आंदोलन का जिक्र
मणिपुर में 18 जून को विद्रोह एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी वजह से अभी हिंसा बढ़ने की आशंका बनी हुई है। गौरतलब है कि 2001 में 18 जून के आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 18 व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए विद्रोह एकता दिवस हर साल मनाया जाता है। 2001 के आंदोलन का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने शनिवार को पीएम मोदी से शांति की अपील करने का आग्रह किया। कांग्रेस ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री उनके अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, तो वह विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाएगी।
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