Manipur Violence: मणिपुर में बीते एक महीने से जारी हिंसा की आग अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। हालात काबू में लाने के लिए प्रशासन की ओर से कई जिलों में कर्फ्यू लागू किया गया है। शांति बहाली के लिए सेना लगातार मोर्चे पर बनी हुई है।
वहीं, दो महीने से जारी हिंसा के बीच शनिवार (24 जून) को अर्धसैनिक बलों को 1200 से ज्यादा महिलाओं की भीड़ ने घेर लिया। जिसके बाद मजबूरन सेना को 12 उग्रवादियों को छोड़ना पड़ा। दरअसल, तलाशी अभियान के दौरान इन्हें गिरफ्तार किया गया था।

Manipur Violence: 12 उग्रवादियों को छोड़ने पर मजबूर हुई सेना
यहां सुरक्षा बलों ने कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 उग्रवादियों को एक गांव में घेर लिया था तभी महिलाओं की अगुवाई में करीब 1500 लोगों की भीड़ सामने आई गई। भीड़ को देखते हुए मजबूरी में सुरक्षाबलों को उन 12 उग्रवादियों को छोड़ना पड़ा जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा था। 12 उग्रवादियों में मोइरंगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था। तम्बा को साल 2015 में हुए उस हमले का मास्टरमाइंड था जिसमें सुरक्षा बलों के 18 जवानों की मौत हुई थी।

इम्फाल में डिफेंस पीआरओ ने मीडिया को बताया कि सुरक्षा बलों के जवानों ने भीड़ से पीछे हटने के लिए कई बार अपील की लेकिन लोग पीछे नहीं हटे। आखिर में मजबूरन उग्रवादियों को छोड़ना पड़ा। हालांकि, सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में उग्रवादियों के पास से मिले हथियारों को जब्त कर लिया है। ऐसा पहली बार नहीं है जब उग्रवादियों को बचाने के लिए महिलाएं सामने आई। इससे पहले भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है।
3 मई को शुरू हुई थी हिंसा
बता दें, मणिपुर 3 मई से ही हिंसा की आग से जूझ रहा है। इसकी शुरुआत उस वक्त हुई जब तीन मई को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के विरोध में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच में पहली बार झड़प देखी गई। देखते ही देखते झड़प हिंसा में तब्दील हो गई है और पूरे राज्य में फैल गई। सैकड़ों घर जला दिए गए। अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों की संख्या में लोगों को राहत शिविर में रखा गया है जबकि सैकड़ों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा है।
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