Manik Saha: त्रिपुरा (Tripura) के नए मुख्यमंत्री माणिक साहा (Manik Saha) ने आज मुख्यमंत्री के तौर पर रविवार को शपथ ले ली है। राजभवन में आज राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है। बता दें कि त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
यह इस्तीफा उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को सौंपा था। इस विषय पर बिप्लब देब ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि उनके लिए पार्टी का फैसला सर्वोपरि है। आलाकमान यही चाहता था, इसलिए उन्होंने अपने पद को छोड़ दिया है। बता दें कि बिप्लब देब त्रिपुरा में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे।
Manik Saha के कंधों पर अब त्रिपुरा की बागडोर
शनिवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के पद से इस्तीफा देते ही कुछ घंटों के भीतर पार्टी ने माणिक साहा को अपना नया नेता चुन लिया। बता दें कि बीजेपी ने इससे पहले उत्तराखंड में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने का दांव खेला था। उत्तराखंड में भाजपा के पांच साल के कार्यकाल में हाईकमान ने दो-दो मुख्यमंत्री बदले हैं।
सीएम चेहरा बदलने पर विपक्षी कांग्रेस भाजपा पर हमेशा से ही हमलावर रही है। ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने से क्या भाजपा को चुनाव में फायदा पहुंचेगा। बिप्लब देब के इस्तीफा देने के साथ ही पार्टी को 2023 में अगले चुनावों तक ले जाने का काम अब साहा के कंधों पर आ गया है।
कौन है त्रिपुरा के नए सीएम माणिक साहा
पेशे से दंत चिकित्सक साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। 2020 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। साहा पिछले महीने ही राज्यसभा सांसद बने थे। शनिवार शाम को उन्हें पार्टी ने विधायक दल का नेता चुन लिया, जिसके बाद आज उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
बिप्लब देब ने क्यों दिया इस्तीफा
बता दें कि 2018 में हुए चुनाव में भाजपा ने त्रिपुरा पर जीत दर्ज की थी। 60 सदस्यों की विधानसभा में 2018 के चुनाव में भाजपा को 36 सीटें मिलीं थी। जिसके बाद बिप्लब देब को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था। लेकिन दो साल बाद ही उनके खिलाफ पार्टी में विरोध की खबरें आने लगी थीं।
मुख्यमंत्री पर मनमानी करने, पार्टी के पुराने नेताओं की नहीं सुनने का आरोप लगने लगा। अक्तूबर 2020 में 11 नाराज विधायक बिप्लब देब की शिकायत लेकर दिल्ली भी पहुंच गए थे। कहा जा रहा है कि इन सभी कारणों के चलते पार्टी ने यह फैसला लिया है।
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