भारत के इतिहास के गौरवशाली योद्धा महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की आज 481वां पुण्यतिथि है। उनका जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदय सिंह और माता जयवंत कंवर थीं। Maharana Pratap को बचपन में ‘कीका’ के नाम से पुकारा जाता था। महाराण प्रताप की मृत्यू अपनी राजधानी चावंड में धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज के बाद 57 वर्ष की उम्र में 19 जनवरी 1597 में हुई थी। इतिहास में उनका नाम सदा के लिए दर्ज हो गया।
Maharana Pratap के भाले का वजन था 80 किलो
महाराणा प्रताप ने नीचे तबके के लोगों को उठाने में अपने जीवन को आहूत किया, भीलों के साथ मिलकर जिस प्रकार से उन्होंने एक छापामार युद्ध प्रणाली को विकसित किया वह इतिहास में बेमिसाल है। सम्पूर्ण दुनिया में युद्ध के क्षेत्र में भी यदि छापामार पद्धति की बात होती है तो महाराणा प्रताप की बात होती है।
महाराणा प्रताप वास्तव में महान वीर व भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे। उन्होंने जंगलों में रहना स्वीकार किया परन्तु राजमहल में रहने के लिए दासता स्वीकार बिलकुल भी नहीं की। वो सदैव मेवाड़ राज्य की स्वतन्त्रता के लिए लड़ते रहे। कठिन से कठिन समय में भी विचलित न होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की बात सोचते रहे। वह अपनी शूरता के लिए सदैव अमर रहेंगे।
वीर राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप का भाला 80 किलो का था तथा छाती के कवच का भार 71 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो था तथा महाराणा प्रताप जी की ऊंचाई 7 फीट 5 इंच थी। उनके कुल शस्त्रों का वजन 210 किलो था।
Maharana Pratap की पुण्यतिथि पर नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया याद। ट्वटी कर लिखा माँ भारती के अमर सपूत, भारतीय स्वाभिमान व शौर्य के अप्रतिम प्रतीक, महापराक्रमी, विलक्षण संगठनकर्ता, त्याग व बलिदान के उच्चतम आदर्श महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि एवं कोटि-कोटि नमन।
Road Transport & Highways मंत्री नीतीन गडकरी ने भी ट्वीटर कर नमन किया है। उन्हों लिखा कि मां भारती के वीर सपूत महाराणा प्रताप जी को पुण्यतिथि पर सादर नमन।
राजस्थान के टोंक से कांग्रेस के MLA सचिन पायलट ने भी महाराणा प्रताप को याद किया है। उन्होंने लिखा मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन अर्पण करने वाले, स्वाभिमान के पर्याय, महान शूरवीर योद्धा महाराणा प्रताप जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। महाराणा प्रताप जी के साहस, वीरता, त्याग व बलिदान की शौर्य गाथा सदैव इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगी।
संबंधित खबरें: