Laws For Pets: प्राचीन काल से ही सभी जीवों के लिए करुणा भारत का दर्शन रहा है। देश के अधिकांश ग्रामीण और शहरी घरों में, जब लोग खाना बनाते हैं, तो वे गायों, कुत्तों और पक्षियों के लिए भी भोजन का एक हिस्सा परोसते हैं। जानवर भले ही गूंगे हों लेकिन एक समाज के तौर पर हमें उनकी तरफ से बोलना होगा। जानवरों को कोई दर्द या पीड़ा नहीं होनी चाहिए। जानवरों के प्रति क्रूरता के कारण उन्हें मानसिक पीड़ा होती है। जानवर भी हमारी तरह सांस लेते हैं और उनमें भावनाएं होती हैं।
Laws For Pets: जानवरों के लिए भी बने हैं कानून
जानवरों को भोजन, पानी, आश्रय, सामान्य व्यवहार और चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। इसलिए भारत के संविधान ने जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी दी है। उनके लिए भी कई कानून बने हैं, जो उन्हें क्रूरतापूर्ण कार्रवाई से बचाते हैं। पालतू जानवरों के मालिकों को अक्सर अपने पालतू जानवरों के संबंध में नियमों का उल्लंघन करने के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। देश में इन जानवरों को मारने पर दंड का प्रावधान भी है। आज हम ऐसे ही जानवरों और उनकी रक्षा के लिए बने कुछ कानून के बारे में आपको बताएंगे:
Laws For Pets: किन जानवरों को पालतू जानवर के रूप में रखने की अनुमति है?
पशु आदिकाल से ही मनुष्य के अच्छे मित्र रहे हैं। हमने प्रगति की है और पालतू जानवरों के रूप में जंगली जानवरों को भी अपने साथ ऱखने लगे हैं। हालांकि, कई लोग पालतू जानवरों का उपयोग कई कारणों से कर रहे हैं जैसे कि चोरी करना, अवैध सौदे। जिसके परिणामस्वरूप कई प्रजातियां लुप्त हो गई हैं। इसलिए, पशु कानूनों को और अधिक कठोर या सख्त होने की आवश्यकता है। ये जानवर जिन्हें पालतू जानवर के रूप में रखा जा सकता है:
स्तनधारी: ऊंट, बिल्ली, कुत्ते, गधे, मवेशी, घोड़े, सूअर, भेड़, बकरी, आदि।
पक्षी: तोते, मुर्गियां, बत्तख, गीज़ और भी बहुत कुछ।
सूची बहुत लंबी है, ये कुछ उदाहरण हैं जो कुछ विचार दे सकते हैं कि हम अपने पालतू जानवरों के रूप में किस प्रकार के जानवरों को रख सकते हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत पशु अधिकार
- भारत में, पशु क्रूरता की कई घटनाएं देखी जाती हैं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है और इस प्रकार कोई पूछताछ या गिरफ्तारी नहीं की जा रही है। भारत में पशु संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू नहीं किया जाता है। देश में ये पशु संरक्षण कानून बनाए गए हैं।
- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 428 में कहा गया है कि, जो कोई भी दस रुपये या उससे अधिक की कीमत के किसी भी जानवर की हत्या करता है, तो उसे जेल हो सकती है या जुर्माना देना पड़ सकता है।
- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 429 में कहा गया है कि जो कोई किसी हाथी, ऊंट, घोड़े, खच्चर, भैंस, बैल, गाय या बैल को मारता है। उसको पांच साल की जेल व जुर्माना देना पड़ सकता है। या फिर दोनों एक साथ भी हो सकता है।
बंदरों को सुरक्षा
वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है। कानून कहता है कि बंदरों से नुमाइश करवाना या उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है।
कुत्तों के लिए क्या है कानून?
इस नियम के तहत कुत्तों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पालतू और आवारा। कोई भी व्यक्ति या स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन कर सकती है। उन्हें मारना गैरकानूनी है।
खाना-पानी न देना भी अपराध
बता दें कि कानून के मुताबिक, जानवर को पर्याप्त भोजन, पानी, शरण देने से इनकार करना और लंबे समय तक बांधे रखना दंडनीय अपराध है। इसके लिए जुर्माना या तीन महीने की सजा या फिर दोनों हो सकते हैं। इतना ही नहीं, पशुओं को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना भी संज्ञेय अपराध है।
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