केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अगस्त 2022 में वापिस लिए गए व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के बाद आज यानि 18 नवंबर 2022 को सरकार ने नए डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 (Digital Personal Data Protection Bill – 2022) का मसौदा पेश कर दिया है.
इससे पहले अगस्त 2022 में कई आईटी कंपनियों समेत अन्य संस्थानों की आपत्ति के बाद करीब 3 महीने पहले सरकार ने डिटिजल डेटा प्रोटेक्शन बिल वापस ले लिया था. इस मसौदे को लेकर आम लोग और संस्थान 17 दिसंबर 2022 तक अपने सुझाव दे सकते हैं.
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के बाद शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में या फिर बजट सत्र में इस बिल को पेश कर सकती है. इस ड्राफ्ट में डेटा के प्रोटेक्शन (Data Protection) से जुड़ी कई अहम बातों पर जोर दिया गया है.
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इस संबंध में ट्वीट किया और एक लिंक भी शेयर किया है जिसपर क्लिक करके आप बिल के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. इससे पहले वैष्णव ने कहा था कि विधेयक वापस लिया गया, क्योंकि संयुक्त संसदीय समिति ने 99 धाराओं के विधेयक में 81 संशोधनों की सिफारिश की थी.
क्या हैं आज पेश हुए डेटा प्रोटेक्शन बिल के कुछ अहम बिंदु –
जारी किए गए नए ड्राफ्ट के अनुसार अगर कंपनियों को डेटा चोरी का दोषी पाया जाता है, या कंपनी डेटा का गलत इस्तेमाल करती हैं या फिर डेटा चोरी से जु़ड़े हुए किसी गंभीर मामले की घटनाओं को उपभोक्ताओं व सरकार को रिपोर्ट करने में असफल रहती हैं तो उन पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. जुर्माने को लेकर डेटा संरक्षण विधेयक (Revised Data Protection Bill) में कठोर प्रावधान किए गये हैं.
इसके अलावा यह बिल केंद्र सरकार को भारत के डेटा संरक्षण बोर्ड (Data Protection Board) की स्थापना करने की भी अनुमति देता है. यह बोर्ड एक डिजिटल नियामक (Digital Regulator) के रूप में कार्य करेगा.
इस मसौदे में कहा गया है कि ये बिल किसी भी तरह के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए है. इसके साथ ही बिना उपभोक्ता (Consumer) की मर्जी के डेटा को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. वहीं, कंपनियों को हर डिजिटल नागरिक को साफ और आसान भाषा में सारी जानकारी देनी होगी जिससे वो सही गलत में अंतर को पहचान सके.
नये Data Protection Bill में कहा गया है कि किसी भी समय ग्राहक अपनी सहमति (Consent) वापस ले सकता है. केंद्र सरकार चाहे तो राष्ट्रहित (National Interest) में एजेंसियों अथवा राज्यों को इसके दायरे से बाहर रख सकती है. डेटा स्टोरेज के लिए सर्वर देश में या मित्र देशों में ही हो सकेगा. सरकार ऐसे देशों की लिस्ट जल्द जारी करेगी. इसके अलावा सरकारी एजेंसियां और संस्थान असीमित समय तक डेटा को अपने पास रख सकेंगे.
क्या थे Data Protection Act 2019 के वापिस लेने के कारण
डेटा संरक्षण विधेयक 2019 (Data Protection Act 2019) को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति (Joint Committee of Parliament) को जांच के लिए भेजा गया था. इसके बाद जेसीपी रिपोर्ट दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश की थी. जिसके बाद विधेयक को 81 संशोधनों के साथ वापस कर दिया गया था. वहीं, इस साल अगस्त में केंद्रीय प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे लोकसभा से वापिस लेने की घोषणा कर दी थी.
संयुक्त संसदीय समिति (JCP) ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 का विस्तृत विश्लेषण करते हुए इस संबंध में 81 संशोधन प्रस्तावित किये गए थे, साथ ही डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र (Digital Ecosystem) पर एक व्यापक कानूनी ढांचे की दिशा में 12 सिफारिशें की गई थीं. समिति की सिफारिशों के बाद JCP की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय एक व्यापक कानूनी ढांचे पर काम कर रहा था.
डेटा स्थानीयकरण के मुद्दे (Data Localisation)
पिछले मसौदे को लेकर भारत की तकनीकी कंपनियों ने विधेयक में डेटा स्थानीयकरण नामक प्रस्तावित प्रावधान पर सवाल उठाये थे. डेटा के स्थानीयकरण के तहत कंपनियों के लिये भारत के भीतर कुछ संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा की एक कापी को सेव करना अनिवार्य करने को लेकर बाक कही गई थी, इसके अलावा देश से अपरिभाषित “महत्वपूर्ण” व्यक्तिगत डेटा का बाहर के सर्वर में सेव करने को प्रतिबंधित करने को कहा गया था.
पिछले विधेयक का हितधारकों (फेसबुक, गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियां, गोपनीयता एवं नागरिक समाज के कार्यकर्त्ता) की भी नकारात्मक आलोचना का सामना करना पड़ा था.
2018 में पेश किए गए विधेयक को 2022 तक भी पास न हो पाने के कारण कई हितधारकों ने आलोचना करते हुए कहा था कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत के पास लोगों की गोपनीयता की रक्षा के लिए कोई बुनियादी ढांचा नहीं है.
कितना बड़ा है भारत का डेटा बाजार
इस समय भारत में 80 करोड़ के लगभग लोग इंटरनेट पर एक्टिव हैं जिसे आने वाले वर्षों में 100 करोड़ के पार कर जाने की उम्मीद है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा कनेक्टेड लोकतंत्र है. नए बिल का मकसद उपभोक्ताओं की प्राइवेसी को लेकर सख्त कानून बनाना है. बिल में साफतौर पर यह भी बताया जाएगा कि किसी यूजर के डाटा का इस्तेमाल कहां-कहां और किस तरीके से होगा.