MSP गारंटी और बिजली कानून की वापसी पर किसान आंदोलन एक बार फिर उग्र हो सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बावजूद आंदोलन खत्म करने के मूड में दिखाई नहीं दे रहा है।

कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद किसान अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी के लिए कानून बनाने पर अड़ गए हैं साथ ही किसान नेता बिजली संशोधन विधेयक वापस लिये जाने की मांग को लेकर भी आंदोलन को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं।
किसान मोर्चा ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे
शनिवार को लंबी मंत्रणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने संयुक्त तौर पर कहा कि उसके पहले से निर्धारित सभी कार्यक्रम जारी रहेंगे। इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वषर्गांठ पर 26 नवम्बर को आजम लोगों से प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में आने की अपील भी की। मोर्चा आंदोलन की आगे की रणनीति के लिए रविवार की बैठक में अंतिम फैसला करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कानून वापसी के फासले खुश तो नजर आया लेकिन इसके साथ ही वह चाहता है कि संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए पीएम मोदी की घोषणा को प्रभावी होने तक आंदोलन चलना चाहिए। चालीस किसान संघों के प्रमुख संगठन एसकेएम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा तथा सभी घोषित कार्यक्रम जारी हैं।
500 प्रदर्शनकारी किसान 29 नवम्बर को ट्रैक्टर के साथ संसद तक करेंगे मार्च
इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से बड़ी संख्या में 22 नवम्बर को लखनऊ किसान महापंचायत में शामिल होने की भी अपील की। इस मामले में बयान जारी करते हुए कहा गया कि 29 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे। प्रधानमंत्री ने तीन ’काले’ कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, लेकिन वह किसानों की अन्य लंबित मांगों पर चुप रहे।’

मोर्चा ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को अभी तक स्वीकार तक नहीं किया है। किसान मोर्चा इन शहीदों किसानों के परिवारों को उचित मुआवजे और रोजगार की भी मांग कर रहा है।

किसान नेता मानते हैं कि शहीद होने वाले किसान संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा बयान में यह भी कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिये दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए।
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