Kala Kumbh: देश को आजादी दिलाने वाले गुमनाम नायकों की कहानियां 26 जनवरी 2022 को विशाल पेंटिंग्स में नजर आएंगी। नई दिल्ली के नेशनल गैलरी ऑफ मार्डन आर्ट द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए कला कुंभ का आयोजन किया गया। यह आयोजन देश के दो बड़े शहरों ओडिशा और चंडीगढ़ में हुआ। दोनों शहराें में लगभग 750 मीटर के 10 विशाल पेटिंग्स स्क्रॉल में ऐसे ही गुमनाम शहीदों की कहानियां पेटिंग द्वारा दर्शायी गईं।

इन पेटिंग्स को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आए। अब ये विशाल पेटिंग्स गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में आकर्षण का केंद्र बनेंगी। आपको बता दें 500 से अधिक कलाकारों ने शोध कर यह पेटिंग्स स्क्रॉल तैयार किये हैं।
Kala Kumbh का आयोजन 11 से 17 दिसंबर तक हुआ
Kala Kumbh का आयोजन संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। यह कार्यशाला ओडिशा में 11 से 17 दिसंबर तक भुवनेश्वर के कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आयोजित हुआ। चंडीगढ़ में यह 25 दिसंबर 2021 से 2 जनवरी 2022 तक चितकारा विश्वविद्यालय में आयोजित हुई।

चंडीगढ़ में कार्यक्रम के समापन समारोह में देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ UT के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित और भुवनेश्वर के सांसद डॉ. अच्युत्य सामंत ने शिरकत की।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई
Kala Kumbh के दौरान शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई, जो पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र और उत्तरी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से भारत की लोक और स्वदेशी प्रदर्शन कलाओं की समृद्ध परंपराओं को दर्शाती थीं। Chandigarh में आयोजित कला कुंभ कार्यशाला में लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल अभिनव नवनीत और मेजर डीपी सिंह (सेवानिवृत्त) के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय के कई अधिकारियों ने भी भाग लिया।

बता दें कि कार्यशाला में परवीर चक्र पा चुके कैप्टन बाना सिंह और सूबेदार संजय कुमार ने एनसीसी कैडेटों और आगंतुकों को उनकी वीरता की अविश्वसनीय साहसी कहानियों को साझा किया, जिसे सुन हर कोई अचंभित रह गया।
आज़ादी का अमृत महोत्सव
गौरतलब है कि भारत सरकार प्रगतिशील भारत के 75 साल की उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिये कला कुंभ- आज़ादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) का आयोजन कर रही है। यह आयोजन विविधता में एकता के सार को दर्शाता है। इन कार्यशालाओं में चित्रित स्क्रॉल को भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को एक नये अवतार के रूप में देखा जा सकता है।
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