देश के कैशलेस होने से भी पहले झारखंड सरकार ने घोषणा की थी जिसमें सभी विभागों के पेपरलेस वर्क होने की बात कही गई थी। गौरतलब है कि झारखंड के सीएम रघुवरदास ने एक साल पहले फरमान जारी करते हुए कहा था कि सारे विभागों में पेपरलेस वर्क होगा। जिसकी डैडलाइन जनवरी 2017 दी गई थी। जिम्मेदारी झारखंड एजेन्सी ऑफ प्रमोशन ऑफ इनफॉरमेशन टैक्नोलॉजी (JAPIT) को दी गई थी।
लेकिन झारखंड में घोषणाएं तो बहुत होती हैं मगर घोषणाओं पर काम कुछ नहीं और इस बार भी ऐसा ही हुआ। झारखंड सरकार के पास 43 विभाग हैं जिनमें से अभी मात्र 5 विभाग के पेपरलेस होने का काम शुरु किया गया है।
सभी विभागों के ऑनलाइन सूचना तंत्र को मजबूत करने और सरकारी कार्यों को पेपरलेस करने के साथ साथ पंचायत सचिवालय को राज्य सचिवालय से जोड़ने के लिए इसकी ज़िम्मेदारी जैपआईटी को सौंपी गई थी। लेकिन पेपरलेस वर्क का यह काम अभी भी अधर में ही लटका हुआ है। ऑनलाइन सिस्टम जी का जंजाल बन गया है। ऐसे में महज झारखंड सरकार का सपनों के टूटने के आसार बढ़ गए हैं।
राज्य सरकार इंदिरा आवास योजना से लेकर मनरेगा मजदूरों की सूची ऑनलाइन करने की बात बार बार कर रही है। इस पूरे सिस्टम में सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि विभागीय अधिकारी महज ईमेल-कम्यूनिकेशन को ही पेपरलेस वर्क समझ रहे हैं।
जैपआईटी के ओएसडी राजकुमार गुप्ता ने सफाई देते हुए कहा कि 5 विभाग जल्द ही पेपरलेस होने वाले हैं उन पर काम शुरु किया जा चुका है।