राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुये आज कहा कि कृषि क्षेत्र नवाचार के माध्यम से इस चुनौती का सामना करने के साथ ही उत्पादकता में वृद्धि कर सकता है। कोविंद ने यहां डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि ग्लोबल वार्मिंग खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है और विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में इसके असर को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके आंशिक प्रभाव से ही काफी कम समय में दुनिया में जानमाल की भारी क्षति हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा, “अफ्रीका के एक छोटे से देश में ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव 0.5 प्रतिशत से कम रहने पर ही एक नया बैक्ट्रिया उत्पन्न हो गया और उसके प्रजनन की रफ्तार कई गुना अधिक रही तथा यह केवल चार से पांच दिन में आठ से 10 हजार पर पहुंच गया।” उन्होंने कहा कि वास्तव में ग्लोबल वॉर्मिंग खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसके मद्देनजर अब समय आ गया है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाये जाय।
#PresidentKovind attends the first convocation of Dr Rajendra Prasad Central Agricultural University, Bihar; says India has to move forward in agriculture productivity with modern techniques and technology-based farming practices pic.twitter.com/CyoZGF0jXt
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 15, 2018
कोविंद ने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिए देश में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाने की पहल की गई है, जिससे अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकेगा। इस दिशा में भारत और फ्रांस ने मिलकर शुरुआत कर दी है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का सचिवालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय किसान आयोग की अनुशंसाओं को स्वीकार कर लिया है, जिससे प्रमाणित होता है कि देश में कृषि की अपार संभावनाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने एवं कृषकों को सहायता देने के उद्देश्य से सरकार ने फसल बीमा योजना, किसान संपदा योजना एवं किसानों को उचित मूल्य पर कृषि उत्पाद बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराने जैसे कदम उठाये हैं।
कोविंद ने कहा, “बिहार मेरे लिए विशेष स्थल रहा है, न केवल इसलिए कि मैने राज्यपाल के रूप में यहां अच्छा समय व्यतीत किया है बल्कि इस राज्य के ऐतिहासिक महत्व को समझने का भी अवसर मिला है। इस भूमि से ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद एवं महान समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर ने देश की राजनीति एवं सामाजिक क्षेत्र पर अमिट छाप छोड़ी है।” उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का छात्र जीवन विद्यार्थियों के लिए बहुमूल्य है इसलिए छात्रों को देश के लिए डॉ. प्रसाद के योगदान को समझने का अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को विद्यार्थियों को डॉ. प्रसाद के जन्म स्थल जीरादेई के भ्रमण की व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने कहा कि यदि छात्रों को प्रथम राष्ट्रपति के जनमस्थल का भ्रमण करने का मौका नहीं मिला तो उन्हें इसका जीवनभर अफसोस रहेगा। कोविंद ने कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में बिहार के योगदान की सराहना करते हुये कहा कि इन क्षेत्रों में बेहतर काम करने के लिए राज्य को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही बिहार सरकार ने पशुओं की देखभाल करने के लिए काफी ठोस कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के लिए समस्तीपुर उचित स्थल है क्योंकि महान समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर एवं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर इस धरती से जुड़े हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों को ध्यान में रखते हुये कृषि वैज्ञानिकों को वैकल्पिक फसल चक्र की संकल्पना विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक फसल चक्र को अपनाने पर अंतिम निर्णय लेना जरूरी हो गया है।
श्री कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की शुरुआत को बिहार के वर्षापात पैर्टन में बदलाव के आधार पर समझा जा सकता है। पिछले एक दशक में राज्य में वर्षापात में धीरे-धीरे कमी आई है। उन्होंने कहा, “जब मैं युवा था तब राज्य में 1200 से 1500 मिलीमीटर तक बारिश हुआ करती थी लेकिन वर्तमान में यह घटकर 800-900 मिलीमीटर रह गयी है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कम बारिश होने के कारण राज्य सरकार ने 23 जिले के 275 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार ने कृषि क्षेत्र में प्रभावशाली वृद्धि दर हासिल की है। एक समय राज्य को खाद्यान्नों के कम उत्पादन एवं कम उत्पादकता वाली भूमि के रूप में जाना जाता था लेकिन इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन की बदौलत आज उसे कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य में धान एवं गेहूं के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। राज्य की 76 प्रतिशत आबादी कृषि एवं उसे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर है और सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये हैं। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से राज्य में कृषि संस्थानों को और मजबूत बनाने का आग्रह किया।
इस मौके पर श्री सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार कृषि विकास के लिए देश के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों को मजबूत एवं आधुनिक तकनीकों से लैस कर रही है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक की मदद से देश मे कृषि शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना प्रारंभ की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि विकास के नये केन्द्रों की स्थापना करना और पिछड़ों राज्यों मे कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने पर विशेष बल देना है। राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में 33 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं अन्य 500 छात्रों को पदक प्रदान किये। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन, कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, मंत्री माहेश्वर हजारी, प्रमोद कुमार एवं जनता दल यूनाईटेड के सांसद रामनाथ ठाकुर उपस्थित थे।
-साभार,ईएनसी टाईम्स