पंजाब नेशनल बैंक में अभी धोखाधड़ी का मामला शांत भी नहीं हुआ कि अब आयकर विभाग और आईटी की बड़ी कंपनियों में शुमार इंफोसिस के कर्मचारियों के मिलीभगत से किया गया एक घोटाले का मामला सामने आ रहा है। दरअसल, सीबीआई ‘रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स’ से जुड़े एक फर्जीवाड़े की जांच कर रही है जिसमें इन्फोसिस टेक्नॉलजीज के कुछ अज्ञात कर्मचारी, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कुछ अधिकारी और बेंगलुरु के एक फर्जी चार्टर्ड अकाउंटंट (सीए) की मिलीभगत सामने आ रही है। मामला बीती जनवरी में सामने आया। एफआईआर के मुताबिक आयकर विभाग के अधिकारियों और इंफोसिस के कुछ कर्मचारियों ने फर्जी सीए नागेश शास्त्री की मदद से फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कई निजी कंपनियों के 250 करदाताओं के नाम पर संशोधित टैक्स रिटर्न भरे और अवैध रूप से रिफंड प्राप्त किए। हालांकि सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और कई लोगों से पूछताछ कर रही है।
एक एफआईआर के मुताबिक, इनफोसिस के कुछ अधिकारी, एक फर्जी सीए और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से 1010 रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न फाइल किए गए। ये रिटर्न तीन असेसमेंट इयर्स से संबंधित थे। फर्जी दस्तावेजों के जरिए 250 करदाताओं के नाम पर अवैध रूप से रिफंड क्लेम किए गए। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने इस धोखाधड़ी में शामिल सीए नागेश शास्त्री को फर्जी करार दिया है। बता दें कि इंफोसिस ई-रिटर्न प्रक्रिया के लिए आयकर विभाग का वेंडर है।
सीबीआई का कहना है कि फर्जी सीए नागेश शास्त्री ने रिटर्न फाइल किए और आयकर अधिकारियों और इंफोसिस के लोगों ने सिस्टम को धोखा देकर ऐसा होने दिया और संबंधित अवैध रिफंड की स्वीकृति प्राप्त की. इस तरह पांच करोड़ रुपये का रिफंड हासिल किया गया।सीबीआई को जांच में पता चला है कि असेसमेंट सिस्टम रिवाइज्ड रिटर्न्स को टैग करता है और उनकी प्रोसेसिंग कर रहे लोगों के साथ-साथ असेसिंग ऑफिसरों भी का ध्यान आकर्षित करने के लिए पॉप-अप मेसेज देता रहता है।