सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता पर भी 1 लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि, यह याचिका गलत मनसा से दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि, इस प्रोजेक्ट को जबरन रोकने की कोशिश कर रही हैं।
अदालत ने कहा कि लोगों की रुचि इस प्रोजेक्ट में है, और इस पर नवंबर में काम पूरा होने का कॉन्ट्रैक्ट है। अदालत ने कहा कि ये महत्वपूर्ण पब्लिक प्रोजेक्ट है और इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है। ये एक राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट है। अदालत ने कहा कि इस प्रोजैक्ट की वैधानिकता साबित की जा चुकी है और सरकार को नवंबर 2021 तक इस काम को पूरा करना है।
कोरोना संक्रमण पर हाई कोर्ट ने कहा कि, चूकिं सभी वर्कर साइट पर हैं। वहां कोरोना नियमों का पालन हो रहा है। इसलिए इस कोर्ट के पास कोई कारण नहीं है कि वो आर्टिकल 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट को रोक दे।
आगर संसद भवन की बात करें तो, यह 22 लाख वर्गफीट भूभाग पर बनाया जा रहा है। संसद भवन और सचिवालय समेत अन्य इमारतों का निर्माण होना है। इसे बनाने में 20 हजार करोड़ खर्च किया जा रहा है।
बता दें कि, दिल्ली में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बीच सभी निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा हुआ था, याचिकाकर्ता ने सवाल खड़ा किया था कि, अगर दिल्ली में सभी निर्माण कार्य पर बंदी लगी हुई है तो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम क्यों चल रहा है। इस पर भी रक लगनी चाहिए। 500 मजदूरों की जान खतरे में हैं। गजब बात यह है कि, जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो दिल्ली सरकार निर्माण कार्यों से प्रतिबंध पहले ही हटा चुकी थी।
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए नाइट कर्फ्यू, लॉकडाउन लगा दिया गया था। जरूरी सेवाओं को छोड़ सब कुछ बंद था। लेकिन मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा चल रहा था। यानी की नई संसद भवन निर्माण का कार्य रफ्तार के साथ चल रहा था। कोरोना कहर के बीच 500 मजदूरों के साथ निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है।