चाय, पकौड़े बेचने के बाद अब बीजेपी की सरकार बच्चों को साईकिल का पंचर बनाने के लिए शिक्षित करेगी। इसके पीछ जो कारण बताया जा रहा है वो ये है कि इससे बच्चे आत्मनिर्भर होंगे। गुजरात सरकार के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने चुटकियां लेना शुरू कर दिया है। वहीं कई लोग इसपर विरोध जता रहे हैं। पहले भी ऐसे चाय, पकौड़े वाले बयान पर विपक्षियों ने बीजेपी को घेरा था, अब गुजरात सरकार का ये नया फरमान क्या रंग दिखाएगा ये देखना बाकी है। बता दें कि गुजरात सरकार के नए आदेश में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए टॉयर का पंक्चर सही करने की ट्रेनिंग देने का फैसला हुआ है। इस बाबत शासन ने बाल मेला आयोजन की तैयारी की है।
बता दें कि इस समय मोदी सरकार अपने चार साल पूरे होने का जश्न मना रही है। सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से वो अपने उपलब्धियां गिना रही है। वहीं विपक्ष इन चार सालों के उपलक्ष्य में ‘विश्वासघात दिवस’ मना रहा है क्योंकि विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार ने वादे तो कई किए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ काम नहीं हुए। सोशल मीडिया में भाजपा द्वारा दिया गया पीपीपी मॉडल को पकौड़ा रोजगार, पान का रोजगार, पंचर की दुकान का रोजगार बताया गया है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शासन के तरफ से आदेश है कि कक्षा पांच तक की प्राथमिक स्कूलों में बाल मेला औऱ जूनियर हाईस्कूल यानि छठीं से आठवीं कक्षा वाले स्कूलों में जीवन कौशल मेले का आयोजन होगा। इसमें बच्चों को पंक्चर बनाना, फ्यूज बांधना, कील लगाने जैसे घरेलू कार्य सिखाए जाएंगे। ऐसे में लोगों का कहना है कि यह स्कूली शिक्षा का गुजरात मॉडल है।