पहले दिन से ही आकलन लगाया जा रहा था कि, किसान आंदोलन की आड़ में कुछ खालिस्तानी देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं साथ ही हिंसा को फैलाने की साजिश भी रची जा रही है। अब ये आकलन सच होता दिख रहा है। खालिस्तानी के बाद किसान आंदोलन की आड़ में भारत के खिलाफ विदेशी प्रोपेगेंडा की हकीकत अब सामने आने लगी है।
भारत में चल रहे लंबे समय से किसान आंदोलन को ट्विटर के जरिए अपना समर्थन देने वाली ग्रेटा थनबर्ग का ट्वीट खालिस्तानी संगठन के प्रोपेगंडा का हिस्सा था। दरअसल, ग्रेटा थनबर्ग ने एक ट्वीट किया था, जिसे उन्होंने बाद में डिलीट कर लिया। इसकी प्रारंभिक जांच में यह बात सामने निकलकर आयी है कि इसके पीछे कनाडा स्थित खालिस्तान का समर्थन करने वाले संगठन का हाथ है।
जांच में खुलासा हुआ है कि, ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्वीट में जो पावर प्वाइंट टूलकिट का इस्तेमाल किया था, जिसका उद्देश्य भारत के हितों को नुकसान पहुंचाना है, एक स्वघोषित खालिस्तान समर्थक धालीवाल द्वारा स्थापित ‘पीस फॉर जस्टिस’ संगठन द्वारा तैयार किया गया था। यह कनाडा के वैंकूवर में स्थित है।
पॉवरपाइंट में भारत को निशाना बनाते हुए टास्क बांटे गए थे। टूलकिट में साममान रूप से ‘भारत की योग और चाय की छवि को चोट पहुंचाने’, ’26 जनवरी को वैश्विक व्यवधान’ के साथ-साथ कृषि कानूनों को निरस्त करना’ मकसद था।
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया, ”थनबर्ग के हटाए गए ट्वीट से भारत के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साजिश के असली डिजाइन का पता चला है। उन दलों की जांच करने की आवश्यकता है जो इस बुरी मशीनरी के तार खींच रहे हैं।” सिंह ने कहा कि निर्देशों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया था। ‘कैसे’, ‘कब’ और ‘क्या’ इसकी पूरी जानकारी दी गई थी।