पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली सेलेक्शन कमेटी द्वारा सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने एक पत्र लिखकर गृह मंत्रालय से अपील की थी कि उन्हें उसी दिन से पद से हटा हुआ माना जाए क्योंकि जिस पद पर उनका ट्रांसफर किया गया था उस पद पर सेवा देने की उम्र उन्होंने पहले ही पूरी कर ली है। गृह मंत्रालय ने करीब दो हफ्ते बाद उन्हें जवाब दिया है कि उन्हें आज यानी गुरुवार को ऑफिस आना ही पड़ेगा।

बता दें कि गुरुवार को वर्मा के कार्यकाल का आखिरी दिन है। बुधवार को वर्मा को लिखे एक पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा, ‘आपको फायर सर्विसेज़, सिविल डिफेंस एंड होमगार्ड के महानिदेशक पद पर जॉइन करने का निर्देश दिया जाता है। इसका मतलब है कि वर्मा को एक दिन के लिए ऑफिस आना होगा क्योंकि गुरुवार को उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है। दरअसल, 10 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाए जाने के बाद 11 जनवरी को उन्होंने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें उसी दिन से रिटायर्ड माना जाए।

आलोक वर्मा ने सरकारी सेवा से रिटायरमेंट की उम्र 31 जुलाई 2017 को ही पूरी कर ली थी इसलिए उन्होंने पत्र में लिखा कि उन्हें उसी दिन से रिटायर्ड समझा जाए जिस दिन से उन्हें सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाया गया है। उन्होंने पत्र में लिखा कि उनका कार्यकाल सीबीआई डायरेक्टर के रूप में 31 जनवरी 2019 तक के लिए बढ़ाया गया था। बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल दो सालों के लिए होता है।

वर्मा को सबसे पहले सीबीआई डायरेक्टर के पद से अक्टूबर में ही सीवीसी की सिफारिश के बाद हटा दिया गया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में उन्हें उनके पद पर बहाल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेलेक्शन कमेटी ने उन्हें बचे हुए समय के लिए फायर सर्विसेज़, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड्स के महानिदेशक के पर ट्रांसफर कर दिया था।

हालांकि लोकसभा में विपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका विरोध किया था लेकिन जस्टिस एके सीकरी ने पीएम मोदी का समर्थन किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस सीवीसी जांच की निगरानी करने वाले जस्टिस एके पटनायक (रिटायर्ड) ने इस फैसले की आलोचना की थी और इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया था।

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