कोरोना के बढ़ते कहर के साथ देश में वैक्सीन की मांग भी बढ़ती जा रही है। वैक्सीन की आपूर्ति सरकार नहीं कर पा रही है। कई राज्यों में वैक्सीन की भारी किल्लत है। 1 मई से देश में 18+ वालों का टीकाकरण हो रहा है लेकिन महाराष्ट्र में तीन दिन से वैक्सीन सेंटर बंद है। दिल्ली में भी वैक्सीन की किल्लत है। इस किल्लत को दूर करने के लिए मोदी सरकार स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के निर्माण की अनुमति कुछ और सरकारी तथा निजी कंपनियों को भी देने के विकल्प पर विचार कर सकती है। सूत्रों के अनुसार शीर्ष स्तर पर इस बात पर मंथन चल रहा है और टीकाकरण पर बने वैज्ञानिकों के समूह की राय भी इसके पक्ष में है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार टीका निर्माण पर अधिक फोकस कर रही है। ऐसे में सरकार के पास स्वदेशी टीके का तत्काल उत्पादन बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है। इसके लिए सरकार कुछ और सरकारी और निजी दवा कंपनियों को अनिवार्य लाइसेंस जारी कर टीका बनाने की अनुमति दे सकती है। 

केंद्र सरकार को मौजूदा पेटेंट कानूनों के तहत यह अधिकार है कि वह आपात जन स्वास्थ्य की परिस्थितियों के चलते किसी दवा या टीके के निर्माण की अनुमति दूसरी कंपनियों को भी दे सकती है ताकि उसकी उपलब्धता को बढ़ाया जा सके। 18 साल से अधिक आयु के लोगों को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किए जाने के बाद आने वाले दिनों में टीके की मांग में भारी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। 

सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को कोविशिल्ड की 11 करोड़ और भारत बायोटेक को कोवैक्सीन की पांच करोड़ डोज के लिए आर्डर दे रखा है जिसकी आपूर्ति अगले मई, जून और जुलाई में होनी है। लेकिन यदि यह आपूर्ति समय पर होती भी है तो इससे तीन महीनों तक मौजूदा रफ्तार से भी टीकाकरण जारी रखना संभव नहीं होगा। जबकि सरकार टीकाकरण तेज करना चाहती है। अभी 20-25 लाख टीके रोज लगाने का औसत है। 

बता दें कि, देश इस समय कोरोना का भारी दर्द झेल रहा है। आए दिन 4 हजार लोगों की मौत कोरोना के कारण हो रही है। दूसरी लहर में देश की जनता और अर्थव्यवस्था दोनों ही टूट चुकी है। जानकारों का कहना है कि, अगर जल्दी से जल्दी टीकाकरण नहीं किया गया तो भारत मुश्किल में पड़ सकता है। वहीं कोरोना की तीसरी लहर भी नवंबर – दिसंबर तक दस्तक दे सकती है। तीसरी लहर युवाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित होने वाली है।

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