यूं तो कहावत है कि जात न पूछो साधु की पूछ लीजियो ज्ञान…लेकिन जब बात सियासत की हो तो जाति ही अहमियत के पायदान पर सबसे आगे दिखती है…उम्मीदवार से लेकर वोटर और यहां तक कि स्टार प्रचारकों के नाम तय करने में भी जाति को खासी तवज्जो दी जाती है…गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर रविवार को वोटिंग हो रही है…इन सीटों पर योगी-केशव मौर्य सरीखे सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है…तो, सपा-बसपा दोस्ती की पींगों को भी जनता की कसौटी पर कसा जा रहा है…हमेशा के मानिंद इस चुनाव में भी मुद्दों की जगह जाति का गणित ही हावी रहा है…फूलपुर सीट पर पटेल बिरादरी की तादाद सबसे ज्यादा है बीजेपी के कौशलेन्द्र सिंह पटेल और सपा के नागेन्द्र प्रताप पटेल इसी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं…सपा जहां पटेल के अलावा यादव, मुस्लिम और दलितों पर खास निगाह टिकाए है…वहीं बीजेपी ब्राह्मण, कुशवाहा, मौर्य, पाल प्रजापति, वैश्य के अलावा कायस्थ वोटरों से भी खासी उम्मीदें पाले है…दो लाख कायस्थ वोटरो को रिझाने के लिए बीजेपी रणनीतिकार त्रिपुरा के सीएम विप्लव देव को कायस्थ बताकर मजबूत दांव चल रहे हैं…
योगी के गढ़ गोरखपुर में कायस्थ बिरादरी बड़ी तादाद में है…बसपा सपा की दोस्ती का आधार भी जातीय समीकरणों को मजबूती देना ही है…वहीं, कांग्रेस-सपा बीजेपी के कायस्थ कार्ड को लेकर तंज कस रहे हैं… चुनावी बिसात पर क्या बीजेपी, क्या सपा और क्या कांग्रेस सभी जातीय दांव चल रही हैं…हर खेमे के चुनावी मैनेजरों ने बूथवार जातीय आंकड़ों को दुरुस्त करने में ही खासी मशक्कत की है…
उपचुनाव में हर किसी के अपने समीकरण हैं और जीत की भी उम्मीदें हैं…वहीं, जातीय कार्ड चलने के मामले में बीजेपी अव्वल नजर आ रही है…
—एपीएन ब्यूरो