गाय को रहने के लिए साफ-सुथरा स्थान और आराम से बैठने के लिए गद्देदार बिछावन मिलने से वह खुश होती है और दस प्रतिशत अधिक दूध दे सकती है जिससे किसानों की आय काफी बढ़ सकती है।वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि मनुष्य की तरह दुधारू पशु भी सर्दी-गर्मी एवं सुख-दुख का अनुभव करते हैं। गाय को गद्देदार बिछावन पर आराम करने की सुविधा मिलने पर उसमें दूध उत्पादन की क्षमता दस प्रतिशत तक बढ़ सकती है। रबड़ की सीट या गद्देदार बिछावन मिलने पर गाय अधिक समय तक आराम करती है जिससे उसके शरीर में खून का संचार 25 से 30 प्रतिशत बढ़ जाता है जिसकी वजह से दूध का उत्पादन बढ़ता है।

एक लीटर दूध पैदा करने के लिए लगभग 500 लीटर खून को अयन की दुग्ध ग्रंथियों से गुजरना पड़ता है। एक गाय एक दिन में अपने आराम के लिए 10 से 15 बार बैठती या खड़ी होती है। यदि गाय गद्देदार बिछावन मिलने पर एक बार में एक मिनट ही अधिक आराम करे तो दिन भर में उसे कम से कम दस मिनट अधिक आराम का समय मिल जाता है। आराम की अवधि के दौरान उसमें खून का दौरा सवा गुणा बढ़ जाता है। इस प्रकार उसे एक साल में 60 घंटे अधिक आराम मिल सकता है। गाय अधिक समय तक आराम करती है जिससे प्रति घंटे 1.7 किलोग्राम अधिक दूध मिल सकता है अर्थात 60 घंटे में 102 किलोग्राम दूध का उत्पादन बढ़ सकता है।

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अश्विनी कुमार राय ने अपने अध्ययन में कहा है कि गाय कंक्रीट के बने फर्श पर नहीं बैठना चाहती है। इस पर बैठना उसके लिए कष्टदायक है। वह नर्म मुलायम बिस्तर पर बैठना अधिक पसंद करती है। गाय एक दिन में करीब 12 घंटे बैठना पसंद करती है। आराम की जगह साफ-सुथरी और सूखी हो तो इससे पशुओं में चर्मरोग नहीं होता है। गाय के बैठने के स्थान पर बालू का प्रयोग किया जा सकता है या फिर धान के पुआल से उसका गद्देदार बिछावन तैयार किया जा सकता है। गाय जितना अधिक समय तक आराम में रहती है उसकी मांसपेशियां स्वस्थ रहती है क्योंकि इस दौरान उसे पर्याप्त मात्रा में रक्त और आवश्यक पोषण मिलता है।

वैज्ञानिक दुधारू पशुओं को अधिक आराम देने के लिए ग्रूमिंग ब्रश के प्रयोग की सलाह देते हैं। ऐसे ब्रश के उपयोग से पशुओं को अधिक आराम मिलता है। रक्त का संचार बढ़ता है। इससे उनमें तनाव नहीं होता है और दूध का उत्पादन बढ़ जाता है। गाय को जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है तो सफर के कारण उसमें तनाव हो जाता है जिससे दूध उत्पादन में कमी आती है। दूध दुहने वाले व्यक्ति के बदलने पर भी दूध उत्पादकता में कमी आ सकती है। कई बार गाय के बछड़े को उससे अलग करने पर वह तनाव में आ जाती है और इससे दूध उत्पादन कम हो सकता है। अच्छी बात यह कि गाय को चराने से उसका व्यायाम हो जाता है जिससे उसमें रक्त संचार बढ़ जाता है। इस दौरान उसे ताजी हवा और धूप मिलती है जिससे उसकी त्वचा साफ और चमकदार बनी रहती है। त्वचा साफ रहने पर परजीवियों का संक्रमण नहीं होता है और वह खुश रहती है जिससे अधिक दूध का उत्पादन हो सकता है ।

साभार- ईएनसी टाईम्स