भारत में पंजीकृत हिंदू रीतियों से विवाहों के तलाक के मामले अब विदेशी कोर्ट में नहीं चलाए जा सकेंगे और न ही इसका फैसला मान्य होगा। ये बातें बॉम्बे हाईकोर्ट ने 30 जनवरी यानि बुधवार को अपने एक आदेश में कही।
बता दें कि तलाक संबंधी याचिका रोके जाने के मामले में जस्टिस आरडी धानुका की पीठ ने स्टे ऑर्डर दे दिया है।
दरअसल, एक महिला के ब्रिटेन में रहने वाले पति ने मैनचेस्टर की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की है, जिसको लेकर महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की और इस पर कल सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
महिला ने याचिका में कहा कि हिंदू रीतियों से हुई उसकी शादी भारत में पंजीकृत है तो हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार तलाक भी भारत में ही होना चाहिए। कोर्ट ने महिला की इसी बात को मानते हुए ब्रिटिश कोर्ट में सुनवाई पर स्टे लगा दिया है।
गौरतलब है कि दोनों की शादी साल 2012 में हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। शादी का पंजीकरण मीरा-भायंदर नगर निगम में हुआ था। शादी के बाद पति ब्रिटेन वापस चला गया जबकि पत्नी जुलाई 2013 में वहां गई। जानकारी मिली है कि ब्रिटेन जाते ही उसके साथ पति और उसके परिजनों ने बुरा व्यवहार किया और उसे वापस जाने को कहा। नवंबर 2013 में महिला वापस भारत आ गई। जून 2014 में जब महिला को कानूनी नोटिस मिला तब तलाक के बारे में पता चला। इसके बाद महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।