भारी बारिश से आई बाढ़ ने उत्तराखंड के लोगों की जिंदगी को मानो बेमानी बना दिया है। पानी में पहाड़ से मैदान तक का तकरीबन हर कोना है। हालात कमोबेश जलप्रलय जैसे दिखते हैं। सूबे की राजधानी देहरादून के गांव गौहरी-माफ़ी के हालात बदतर है। सॉन्ग नदी और गंगा के क़हर के चलते 350 परिवार पानी के धार में फंस गए जिन्हें खाने के लाले पड़े हैं। पानी के बीच चूल्हा जलाने की बात बेमानी है। पीड़ितों को पीने का पानी से लेकर अन्य मूलभूत सुविधाएं तक नसीब नहीं हैं।
इस मानसून का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन
मौक़े पर एसडीआरएफ की टीम राहत बचाव के काम में जुटी है।लेकिन हालत इतने बदतर है कि एसडीआरएफ की टीम जी जान से काम करने के बावजूद कुछ लोगों को ही निकाल सकी है।मौक़े पर एसडीआरएफ की टीम और स्थानीय प्रशासन ने लोगों के लिए आपदा राहत शिविर लगाया है।जहां उनके भोजन, ठहरने और इलाज की पूरी व्यवस्था की गई है।प्रशासन मौक़े और हालात पर नज़र बनाए हुए है।
गौहरी माफी गांव में आसमानी आफत ‘माफी‘ के मूड में नहीं!
देहरादून के गांव गौहरी-माफ़ी में आसमानी आफल लोगों को कोई माफी देने के मूड में नहीं दिखती।लगातार हो रही बारिश में लोगों का सब कुछ पानी की भेंट चढ़ चुका है।फसलें पूरी तरह पानी में डूब चुकी हैं।वहीं सर्पदंश की घटनाएं भी बढ़ी हैं।सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे लेकर पिछले दिनों बैठक कर प्रभावित इलाकों में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराने के सख्त निर्देश दिए थे।
पानी ने पीड़ितों का सब कुछ लील लिया
फिलहाल देहरादून के गांव गौहरी-माफी में 350 परिवारों को किसी भी कीमत पर बचाने के लिये उत्तराखंड में सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। एसडीआरएफ और पुलिस प्रशासन को बाकायदा पीड़ितों की मदद के साथ ही लोगों को पानी की तेज धार में आने से बचाने के निर्देश दिये गये हैं। लेकिन सूबे के लोगों के लिये ये वक्त बेहद मुश्किल भरा है। हादसे कभी भी दावत दे सकते हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन